________________
३६
उपदेशामृत
(गझल) १"भले दुश्मन बने दुनिया, तमे ना कोपशो, बापु,
अमीमय आंख-क्यारीमां, अमल ना रोपशो, बापु. तमारी ज्यां दयादृष्टि, सदा त्यां छे अमीवृष्टि; बने स्नेही सकल सृष्टि, सदा हृदये वसो, बापु. अमारा दोष ना जोशो, दयाळू दुर्गुणो धोशो; अमे तो आपनां छोसँ, सुबुद्धि आपशो, बापुं.
*"खपी जQ प्रेममां तारा, समर्पण ए अमे कहिये;
दफन थर्बु शेरीमां तारी, अमारुं स्वर्ग ए कहिये. १ दरश तारुं श्रवण तारुं अने तुंमां ज गुम था; परम प्रज्ञान ने मुक्ति, धरम एने अमे कहिये. २ सफर तारी गळीमां ते, शहनशाही अमे कहिये; रहे£ चिंत्वने तारा, पराभक्ति अमे कहिये. ३ तुंमां छे जे, तुं छे जेमां, पछी शुं शोध, तेने? खबर नहि ते ज गफलत छे, अगर अज्ञान ते कहिये. ४ चरण चूमतां कपाव्युं शिर, सनमना प्रेमने खातर; समर्पण ए अमे कहिये, पराभक्ति ज ए कहिये. ५ दिवानुं घेलु तुज प्रेमी, त्वदर्पित प्राण तन मन धन; गुलामी कायमी तारी, सनमनो राह ए कहिये. ६
५३
मंडाला,सं.१९७६ १. 'प्रभु प्रभुता संभारतां, गातां करतां गुणग्राम रे;
सेवक साधनता वरे, निज संवर परिणति पाम रे. मुनि०७ १. अर्थ-हे प्रभु! दुनिया भले मेरी दुश्मन हो जाय, किन्तु आप मुझ पर क्रोध मत करना और अपनी अमृतमय आँखोंमें अफीमको मत बसाना । जहाँ आपकी दयादृष्टि है वहाँ हमेशा अमृतकी वर्षा होती है। अगर आप मेरे हृदयमें बसेंगे तो सारा जगत मेरा स्नेही बन जायेगा। हे प्रभु! आप हमारे दोष मत देखना, मगर आप दया करके हमारे दुर्गुण दूर करना, क्योंकि हम तो आपकी सन्तान है इसलिये हमें सद्बुद्धि देना।
* अर्थ-तेरे प्रेममें हमारा बलिदान हो जाये यही समर्पण है। तेरी गलीमें दफन होना यही हमारा स्वर्ग है। तेरे दर्शन करूँ, तेरे वचनोंका श्रवण करूँ, तुझीमें लीन हो जाऊँ यही हमारी उत्कृष्ट प्रज्ञा, मुक्ति और धर्म है। तेरी गलीमें सफर (घूमना) करना यही हमारी शहेनशाही (राज्यसम्पत्ति) है। तेरे चिंतनमें रहना ही हमारे लिये पराभक्ति है। तेरेमें जो हैं, तू जिसमें है इसका जिसे पता नहीं है तो वह क्या खोजेगा? यही गफलत या अज्ञान है। सनमके प्रेमके लिये चरणोंमें लोटते हुए जिसने अपना शीश कटा दिया उसे ही हम समर्पण कहते हैं-पराभक्ति कहते हैं। सनम (प्रेमी)का सही मार्ग यही है कि वह तेरा दीवाना हो जाय, प्राण-तन-मन-धन सब तुझे अर्पण कर दे और हमेशाके लिये तेरी गुलामी स्वीकार करें।
___ + प्रभुकी प्रभुताको याद करते हुए और उनके गुणगान करते हुए सेवक (प्रभुका उपासक) अपने Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org