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उपदेशसंग्रह-२
२७५ उसके लिये ही बिताना है, ऐसा दृढ़ विश्वास सत्पुरुषके प्रति हो जाना चाहिये और समय भी केवल उसी चर्चा में बिताना योग्य है। अन्य सब मिथ्या निकला, तो अब क्या करें?
पत्रांक ३७३ का वांचन
“मनके कारण यह सब है।" 'मन' क्या? भावमन और द्रव्यमन यों दो भेद हैं। भावमन आत्मा। आत्माके बिना मन कैसा? 'उसके कारण' इसके भी दो भेद होते हैं । द्रव्यमनके कारण और भावमनके कारण । 'यह सब है' क्या है? स्वभाव और विभाव । आत्मा न हो तो यह सब कैसे जाना जाय?
'उसका निर्णय' यह भी आत्माके कारण बाह्याभ्यंतर ये दो भेदवाला है। लंबे समयके बोधके बिना यह समझमें आना कठिन है।
एक गाँवके पटेल पर दरबारका रोष होनेसे उसे एक जोड़ी बैल, गाड़ी और अनाज देकर कुटुंबके साथ राज्यकी सीमाके बाहर निकाल दिया। वहाँ जंगलमें उसकी स्त्रीने एक बालकको जन्म दिया। बारिश होने लगी और लुटेरे लूटनेको आ पहुँचे । अतः वह गाड़ी पर चढ़कर दुपट्टा हिलाहिलाकर कहने लगा, “आओ, आओ, जितने आ सको आओ।" लुटेरे बोले-"किसको बुला रहा है? उतर नीचे, वर्ना लाठी मारकर मार डालूँगा।" तब उसने अपनी आपबीती कह सुनायी-“मैं तो पूरे गाँवका स्वामी था। ईर्ष्या करनेवालोंने चुगली की कि मेरे गाँवसे दरबारके पास कोई फरियाद नहीं जाती, जिससे दरबारको पैसे नहीं मिलते। इसलिये मुझे गाँवसे निकाल दिया। बारिश होने लगी, स्त्रीने बच्चेको जन्म दिया और तुम भी आ गये। अतः और भी जो दुःख आनेवाले हों उन्हें बुला रहा हूँ कि वे सब आ जायें।"
इस प्रकार जिसे संसार दुःखरूप लगा है, पर सुखमें या दुःखमें जिसे समता रहती है, वह तो प्रभुसे दुःख ही माँगता है। हमें आँतकी गाँठ है। दस्तके समय अर्शमें कचाई रह जानेसे आँत खिसकती है। वह प्रसूतिकी वेदना जैसी पीड़ा प्रतिदिन. भोगनी पड़ती है। वृद्धावस्था, कफ, घबराहट, वायु आदिके रूपमें पूर्वबद्ध कर्म भोगने पड़ते हैं, वे भोग रहे हैं, वे जानेके लिये आये हैं अतः जा रहे हैं-ऐसा देख रहे हैं।
[मुमुक्षुको 'तत्त्वज्ञान' देते हुए] इस 'तत्त्वज्ञान में जो वस्तु है वह अपूर्व है! आप जो मानते हैं उस धर्मसे कोई विरोध नहीं है। पूजा करें, दान दें तो उसका फल है, पुण्यबंध होता है। पर यह तो मोक्षका मार्ग प्राप्त करानेवाला है। चाहे जितनी प्रवृत्तिमें हों तो भी उसे न भूलें । सच्चा धर्म, सत्पुरुषोंका धर्म शास्त्रोंमें नहीं होता। शास्त्र योग्यता प्रदान करते हैं। इतना भव इसीके लिये बिताना है। जब सबका फल मिलता है तब इसका क्यों नहीं मिलेगा? यह चूकने योग्य अवसर नहीं है। स्मरणमें रहें।
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