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तब-तब ही मैं आपके नाम का स्मरण करने बैठ जाता है और थोड़ी ही देर में मुझे अपूर्व शांति और संतोष का अनुभव हो जाता है ।
आपने एक बार अपने भक्तों को चर्चा के समय बताया था कि पूरी श्रद्धा से पूज्य श्री जयमल जी म. सा. के नाम की माला फेरने से संकट दूर होते हैं, मन को शांति और संतोष मिलता है । यह मैंने आपके मुंह से सुना था। मैंने इस बात का परीक्षण करके देखा है। पूज्य जयमलजी म. सा. की माला फेरने से वास्तव में अपूर्व शांति का अनुभव तो होता ही है, मन में सदैव संतोष बना रहता है। अब मैं प्रतिदिन पूज्य श्री जयमलजी म. सा. के नाम की दो मालाएँ फेरता हूँ।
आपका हृदय करुणा, दया, उदारता प्रादि अनेक गुणों से भरा हुआ है। मैं तो एक अल्पबुद्धि व्यक्ति हूँ । प्रापके अनन्त गुणों को प्रकट करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। मैं और मेरा सम्पूर्ण परिवार यही कामना करता है कि आपका वरद हस्त सदैव हमारे ऊपर बना रहे और आपकी कृपा मिलती रहे। आप सदैव स्वस्थ रहकर सबका मार्गदर्शन करते रहें।
अर्चना अभिनन्दन 0 साध्वी बिन्दुप्रभा "विमला"
उमराव यशस्वी आप हो अहो अर्चना गुरुराज, धन्य दुवा पाकर तुम्हें सारा जनसमाज । अमर रहो अविचल रहो, बढ़े चलो अविराम, वंदन चरणों में सदा, स्वीकृत हो गुणधाम ॥
समय की शिला पर कुछ चित्र बराबर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमि निर्वाहित करते हैं। जीवन के इन खट्टे-मीठे, चटपटे स्वाद भरे जीवन में कई क्षण ऐसे भी प्राते हैं जो युगों तक हमें कुछ न कुछ नया प्रेरक एवं वरेण्य तत्त्व दे जाते हैं।
परम पूज्या "अर्चना" जी स्वनिर्मित महानमात्मा है। आप श्री को किस नाम से अलंकृत करू ? ब्रह्मा कहूँ, पतितपावन कहूँ, ईश्वरीय संदेशवाहिका कहूँ, दैवी गुणों का विधान कहूँ, सत्य का पैगाम कहूँ, या साक्षात् धर्मावतार कहूँ।
सच में पाप श्री का जीवन अनुपम है। आप श्री ज्ञान दर्शन चारित्र की सच्ची पाराधिका हैं । आप जहाँ भी विराजती हैं, वहाँ पाप के चाहुँ ओर आनन्द प्रमोद के फव्वारे उड़ा करते हैं, आप अपने देह का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण जन-जन के श्रेय के लिए समपित कर रहे हैं, आपके ऐसे स्वार्पणमय महान् जीवन को देखकर अगरबत्ती व मोमबत्ती का स्मरण हो जाता है, जो कि अपने देह के कवर को जलाकर वातावरण को सुगंधित व सुरभित करती है, लगता है कवि की ये पंक्तियाँ आपको ही संकेत कर रही हो
आई घड़ी अभिनंदन की चरण कमल के वंदन की
अर्चनार्चन / ३२
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