________________
i-
india.'... -.
.-...
---.
.
.
.
४३१
.. .
.:-
"
|... ---
[ ३८ ] क्रम सं० पृष्ठ सं० । क्रम सं.
पृष्ठ सं० १२ जल कायिक जीवोंके भेदों का प्रतिपादन ३६६ ३८ जीवों की गति-प्रागति का प्रतिपादन ४२६ १३ अग्निकायिक जीवों का प्रतिपादन ४०० | ३६ धर्म प्राप्ति के लिये जीवरक्षा का उपदेश ४२८ १४ वायुकायिक जीवों के स्थानों का वर्णन ४०१ | ४० अधिकारान्त मंगल
४२८ १५ वनस्पतिकायिक जीवों के भेद
द्वादश अधिकार/चतुर्निकाय के देवों १६ साधारण बनस्पतिकायिक जीवों के
का वर्णन भवनवासी देव लक्षण
४०३
१ मगलाचरण १७ स्कन्ध, अण्डर आदि का प्रतिपादन
२ देवों के मूल चार भेद और उनके स्थान ४३० १८ बादर अनन्तकाय जीव
३ भवनवासी देवों के स्थान १६ साधारण, प्रत्येक, सूक्ष्म एवं बादर
४ उनका प्रमाण
४३२ जीवोंके लक्षण और उनके निवास क्षेत्र ४०५
५ उनकी दश जातियां और उनकी कुमार २० त्रस जीवों के भेद
४०६
संज्ञा की सार्थकता २१ जोवों की कुलकोटियां
६ असुरकुमारादि देवों के वर्ण और चिह्न ४३२ २२ योनियों के भेद-प्रभेद, आकार और
७ भवनबासी देवोंके भवनोंकी पृथक् पृथक स्वामी
४०८
संख्या २३ जीवों के शरीरों को अवगाहना
८ दस कुल सम्बन्धी २० इन्द्रों के नाम, २४ जीवों के संस्थानों का कथन
४११ उनका दिशागत अवस्थान और प्रतीन्द्रों २५ जीवों के संहननों का विवेचन ४११ की संख्या २६ जीवों के वेदों का कथन
है दक्षिणेन्द्रों और उत्तरेन्द्रों के भवनों की २७ जीवों की उत्कृष्ट और जघन्य प्रायु ४१३
संस्था
४३५ २८ स्पर्शन आदि पांचों इन्द्रियों की प्राकृति ४१४ | १० भवनों का प्रमाण तथा कल्पवृक्षों का
वर्णन २६ इन्द्रियों के भेद-प्रभेद
४१५ ३० पांचों इन्द्रियों के विषयों का स्पर्श ४१५
११ मानस्तम्भों का वर्णन १२ इन्द्रादिक के भेद
४३७ ३१ एकेन्द्रियादि जीवोंकी संख्या का प्रमाण ४१७
१३ इन्द्रादिक पदवियों के दृष्टान्त ३२ जीवों के प्रमाण का अल्पबहुत्व ४१६ ३३ नरकति अपेक्षा अल्पबहृत्व
१४ लोकपालों का अवस्थान
४२० ३४ तियंञ्चगति अपेक्षा अल्पबहुत्व
१५ प्रत्येक इन्द्र के त्रायस्त्रिंश, सामानिक और अंगरक्षक देवों को संख्या
४३६ ३५ मनुष्यगति अपेक्षा अल्पबहुत्व
| १६ पारिषद देवों की संख्या ३६ देवगति अपेक्षा अल्पबहुत्व
४२३
| १७ अनीक देवों के भेद और चमरेन्द्र के ३७ जीवों को पर्याप्ति और प्राणों का कथन ४२५ |
का कथन ४२५ । महिषों की संख्या
४३६
४३८ ४३८
४२२