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चौवीसवाँ बोल श्रुत की आराधना
पहले बतलाया जा चुका है कि पाच प्रकार का स्वाध्याय करने से श्रुत की आराधना होती है। यहा श्रुत की आराधना पर विचार किया जाता है ।
मूलपाठ प्रश्न- सुयस्स प्राराहणाए णं भंते ! जीवे कि जणयइ-?
उत्तर- सुयस्स पाराहणाए णं प्रमाण खवेइ, न य सकिलिस्सइ ।
शब्दार्थ प्रश्न-भगवन् ! श्रुत की आराधना से जीव को क्या लाभ होता है?
उत्तर- श्रुत की आराधना से अज्ञान दूर होता है और उससे जीव को संक्लेश नही होता ?