________________
छब्बीसवाँ बोल
रहे हैं। उदाहरणार्य -धन व्यावहारिक कार्य का एक साधन है । धन के द्वारा व्यवहारोपयोगी वस्तुए प्राप्त की जा सकती है । मगर हुआ यह कि लोगो ने इस साधन को ही साध्य समझ लिया है और वह धनोपार्जन करने में ही अपना सारा जीवन व्यतीत कर देते हैं । जरा विचार तो करो कि धन तुम्हारे लिए है या तुम धन के लिए हो ? कहने को तो झट कह दोगे कि हम धन के लिए नहीं हैं, धन हमारे लिए है । मगर कथनी के अनुकूल करनी है या नही ? सत्र से पहले यही मोचो कि तुम कौन हो? यह विचार कर फिर यह भी विचार करो कि धन किसके लिए है ? तुम रक्त, हाड या मांस नही हो। यह सब धातुए तो शरीर के साथ ही भस्म होने वाली हैं। अत धन हाड-मास के लिए नहीं वरन् आत्मा के लिए है। यह बात भलीभांति समझकर आत्मा को 'धन का गुलाम मत बनाओ। यह बात समझ लेने वाला धन का गुलाम नही बनेगा, अपितु धन का स्वामी बनेगा । वह धन को साध्य नही, साधन मानकर धनोपार्जन मे ही अपना जीवन समाप्त नहीं कर देगा। वह जीवन को सफल बनाने का प्रयत्न भी करेगा।
अगर आप यह मानते है कि धन आपके लिए है, आप धन के लिए नही है तो मैं पूछता हूँ कि आप धन के लिए पाप तो नही करते ? असत्य भाषण, विश्वासघात और पिता-पुत्र आदि के बीच क्लेश किसके लिए होते है ? धन के लिए ही सब होता है । धन से ससार मे क्लेश-कलह होना इस बात का प्रमाण है कि लोगो ने धन को साधन मानने के बदले साध्य समझ लिया है । लोगो की इस भूल