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चौतीसो बोल-२१७
पक्ष प्रकाश का समर्थक है और दूसरा पक्ष अधकार का समर्थक है । इसी कारण दोनो पक्षो के नाम भिन्न-भिन्न हैं। साधारणतया देखा जाये तो पूर्णिमा के बाद अपने वाली प्रतिषद् के दिन अधकार कम होता है और प्रकाश अधिक होता है, परन्तु वह पक्ष अधकार का पक्षपाती होता है, इसी कारण उसकी गणना कृष्णपक्ष मे करते है । इसी तरह शुक्ल पक्ष को द्वितीया के दिन नाम मात्र को ही प्रकाश होता है, फिर भी वह पक्ष प्रकाश का पक्षपाती है, इसी कारण उसकी गणना शुक्लपक्ष में की गई है । समार मे खो , शुक्लपक्षीय लोग भी रहेगे और कृष्णपक्षीय भी रहेगे । मगर तुम विवेकपूर्वक विचार करो कि इन दोनों मे से तुम्हे किस पक्ष में रहना है २ तुम हिंसा के पक्ष में रहना चाहते हो या अहिंसा के पक्ष में रहना चाहते हो ? विवेक के साथ तुम्हें निर्णय करना चाहिए ।
शास्त्र में शुभाशुभ भावों की शुक्लता और कृष्णता बतलाकर छह लेश्याओं के विषय मे विचार किया गया है। छह लेश्याओं में तीन लेश्याए तो शुभ अर्थात् धर्म की घोतक हैं और तीन अशुभ अर्थात् पाप की धोतक हैं । इन शुभा. शुभ लेश्याओ को उदाहरण द्वारा समझाता हूँ।
अ-ग-अलग प्रकृति वाले छह मनुष्य कुल्हाडियो लेकर घर से बाहर निकले । रास्ते में उन्होंने आम्रफल से झुका हुआ आम्रवृक्ष देखा । पके आम देखकर सब ने खाने का विचार किया । मगर वृक्ष बहत ऊचा था। प्रश्न उपस्थित हुआ-आम विस तरह खा" ज ए ?
उन छह मे से एक ने कहा- अपने पास कुल्हाडी है।