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चौतीसवां बोल-२४१
प्रतिज्ञा को पति या पत्नी भंग करे तो कितना अनुचित है ? अपनी प्रतिज्ञा का पालन करना प्रत्येक का कर्तव्य है ।
वसुदेव अपनी प्रतिज्ञा के पालन मे दृढ रहे । वे यह विचारते थे कि सिर पर कितना ही सकट क्यो न आ पडे, धर्मपालन में तो दृढ ही रहना चाहिए धर्मपालन मे दृढ़ रहने वाले लोगो की सेवा करने के लिए देव भी लालायित रहते हैं । कहा भी है -
देवा वि त नमसति जस्स धम्मे सया मणो।
अर्थात्-धर्म मे दृढ रहने वाले धर्मात्माओ को देव भी - नमस्कार करते हैं । इस कथन के अनुसार देवकी की सतान मारी नहीं गई । हरिणगमेपी देव ने उसकी सतान नाग गाथापति के घर पहुचा दी और नाग गाथापति की मृत सतान लाकर वसुदेव को सौंप दी । इस प्रकार सत्य पर दृढ रहने के कारण वमुदेव को किसी प्रकार की हानि नहीं हुई। .
भाइयो । तुम भी सत्य और धर्म पर श्रद्धा रखो । सत्य और धर्म पर श्रद्धा रखने वालो की रक्षा हुई है, होती - है और होगी। अगर तुम्हारे अन्त करण मे धर्म पर श्रद्धा - उत्पन्न नहीं होती तो यहाँ आना भी निरर्थक है। अतएव निर्गन्यप्रवचन पर श्रद्धा रखो। तुम और हम निर्ग्रन्थप्रवचन से बन्धे हुए हैं । आपके और मेरे बीच सम्बन्ध जोडने वाला निग्रन्थप्रवचन ही है । अतएव उस पर श्रद्धा रखकर सत्य का पालन करने वाले और देवकी जंसो पतिव्रता के घर ही श्रीकृष्ण जैसे महापुरुषो का जन्म होता है । ऐसे महापुरुप जन्म लेकर क्या करते हैं, इस विषय मे गीता मे कहा है