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चौतीसर्वा बोल - २१६
अपेक्षा यह लेश्या अच्छी है । यह तीनो लेश्याएँ पापकारिणी और अप्रशस्त मानी जाती हैं ।
चौथे मनु य ने कहा - ' भाई | डालियाँ काटने से पत्ते भी कट जाएँगे और वृक्ष छ या देने योग्य नही रह जाएगा । हमे तो आमो से मतलब है, अतएव सत्र आम गिरा लिये जाएँ तो ठीक है।' इस चौथे की भावना पूर्वोक्त तीनो की अपेक्षा प्रशस्त है और इसीलिए उसकी लेश्या तेजोलेश्या कहलाता है । यह तेजोलेश्या, पद्मलेश्या से हीन होने पर भी पहली तीनो लेश्याओ से अच्छी है । इसी लेश्या से धर्म का आरम्भ होता है ।
पाचवें मनुष्य ने कहा - ' भाई | सभी ग्राम गिराने से भी क्या लाभ ? अगर पके पके ग्राम तोड लिए जाए तो ठीक है । कच्चे आम जब पकेगे तो दूसरो के काम आएगे।' इसकी लेश्या पद्मलेश्या है । यद्यपि पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या से नीची है फिर भी पूर्वोक्त चारो की अपेक्षा प्रशस्त है । यह लेश्या धर्मरूप है ।
है
। वह पके फलो
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छठा शुक्ललेश्या वाला मनुष्य है । इसने कहा - भाइयो । तुम पके आम खाना चाहते हो तो फिर इतना अनर्थ क्यो करते हो ? वृक्ष उदार होता को अपने पास संग्रह करके नही रखता लोगो के हित के लिए नीचे गिरा देता है । अगर अभी हवा चलेगी तो पके ग्राम स्वय नीचे गिर जाएगे । इसलिए थोड़ी देर राह देखो ।' इस मनुष्य को भावना अत्यन्त उच्च है । कहते हैं । यह सर्वश्रेष्ठ लेश्या कही गई है तो सभी को खाने हैं परन्तु आम प्राप्त करने के प्रयत्नो
इसे शुक्ललेश्या
। यद्यपि आम