Book Title: Samyaktva Parakram 03
Author(s): Jawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
Publisher: Jawahar Sahitya Samiti Bhinasar

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Page 187
________________ बत्तीसवां बोल-१७६ कार्य करना निषिद्ध है, तो फिर राजा का कानून किस प्रकार भग किया जा सकता है ? इसका उत्तर यह है कि शास्त्र मे जो ‘विरुद्ध जाइकम्मे' कहा गया है, उसका अर्थ राजा के विरुद्ध काम न करना नही वरन् राज्यविरुद्ध काय न करना है । राज्य का अर्थ सुव्यवस्था है । सुव्यवस्था का भग करने की मनाई की गई है । परन्तु राजा के खराब कायदे का भग करने की मनाई नही की गई । मान लो कि किसी राजा ने अपना भडार भरने के लिए यह कानून बनाया कि प्रत्येक प्रजाजन को प्रतिदिन एक-एक प्याला शराब पीनी चाहिए जिससे राज्य की आय में वृद्धि हो। तो क्या राजा के इस आदेश का पालन किया जायेगा? ऐसे आदेश का विरोध करना वर्म हा जाता है परन्तु छिपकर किसी कानून का भग करना चोरी है। अगर कोई कानून वास्तव में बुरा है तो प्रकट रूप से उसे भग करना चाहिए, छिप कर नही । 'विरुद्धरज्जाइकम्मे' का अर्थ है सुव्यवस्था के विरुद्ध कोई काम न करना । इस शास्त्रकथन का यह अर्थ नही कि दुर्व्यवस्था के विरुद्ध भी कोई कार्य न किया जाये। जहा दुर्व्यवस्था है वहाँ राज्य नहीं है, ऐसा समझना चाहिए। राजा अगर न्यायपूर्वक राज्य का सचालन करता हो तो. उसके न्याय को शिरोधार्य करना ही चाहिए । अगर रजा अन्याय करता हो तो उस अन्याय को दूर करने के लिए नैतिक बल से उसका विरोध करना ही कत्तव्य है। आज लोगो मे नैतिक बल की कमी है और जिनमे नैतिक बल की कमी होती है, उनसे भलीभाति धर्म का पालन नहीं हो सकता । नैतिक बल होने पर ही धर्म का पालन हो सकता है । यह बात स्पष्ट करने के लिए एक

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