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१७८ - सम्यक्त्वपराक्रम ( ३ )
लिए ऐसी चोरी करने की मनाई की गई है जिससे राज्य या समाज के नियमो का उल्लघन होता हो अथवा जिसे राज्य या समाज चोरी मानता हो । पूर्ण चोरी में तो रास्ते मे पडे हुए एक छोटे-से तिनके को भी बिना पूछे लेने का समावेश हो जाता है । पर तुमने अगर रास्ते में पडी हुई तिनका जैसी मामूली वस्तु ले ली हो तुम्हे तो राज्य या समाज द्वारा दण्ड नही दिया जाता । ऐसा करना चोरी मे भी नही गिना जाता । अतएव शास्त्रकारो ने भी ऐसे कृत्य को स्थूल चोरी मे नही गिना है, अलबत्ता सूक्ष्म चोरी में उसकी गणना की गई है । तुम्हे ऐसी सूक्ष्म चोरी का त्याग करने के लिए कहा गया है । परन्तु राजा ने पत्थरो की खान मे से पत्थर लेने की मनाई कर दी हो और तुम राजा की आज्ञा लिए बिना पत्थर ले आओ तो वह स्थल चोरी है । इस प्रकार जिस चोरी से राजाज्ञा या समाजाज्ञा का भग नही होता वह स्थूल चोरी नही है और तुम्हे स्थूल चोरी त्यागने के लिए ही कहा गया है। हाँ, यह बात दूसरी है कि राजा के बनाये हुए कानून योग्य हैं या नही, और उनका पालन करना उचित है या नहीं, परन्तु राजा के किसी अयोग्य कानून का भी अगर तुम छिपकर भी भग करते हो तो तुम्हारा यह कार्य स्थूल चोरी में गिना जा सकता है । तुम्हे कोई कानून खराब और हानिकारक प्रतीत होता हो तो तुम उसे खराब कहकर सविनय कानूनभग की भांति उल्लघन कर सकते हो । अगर कानून बुरा न हो और छिपकर उसका भग करो तो यह कार्य स्थूल चोरी में गिना जा सकता है |
कदाचित् तुम कहोगे कि शास्त्र मे राजा के विरुद्ध