________________
१७२ - सम्यक्त्वपराक्रम ( ३ )
इस
पीछे से श्रीकृष्ण गंगा नदी के किनारे आये । उन्होंने देखा, गंगा मे खूब जोरदार पूर आया है । गंगा को पार करने का और कोई उपाय नजर नही आता । ऐसो दुस्तर गंगा नदी को पाण्डव किस प्रकार पार कर गये । और जब वे गंगा नदी को पार कर गए तो पद्मनाभ से कैसे हार गए ? इस दुस्तर महानदी को पार कर जाने वाला व्यक्ति पद्मनाभ से पराजित हो जाये, यह संभव नही है प्रकार विचार कर श्रीकृष्ण ने एक हाथ मे रथ लिया और दूसरे हाथ से नदी का पानी काटते हुए गंगा पार करने लगे । नदी में तैरते तैरते बीच मे उन्हे कुछ थकावट हुई। उस समय गंगा देवी ने प्रकट होकर उनके विश्राम के लिए स्थान बना दिया और श्रीकृष्ण से कहा - ' अगर आप आज्ञा दे तो मैं आपके लिए मार्ग बना दूँ अथवा नौका आदि की व्यवस्था कर दूँ ।' श्रीकृष्ण बोले- मुझे किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता नही है । अगर मैं नाव आदि की सहायता लेकर नदी पार करूंगा तो इसमे क्या विशेषता रहेगी ? अपने पुरुषार्थ से ही मुझे नदी पार करनी चाहिए।
-
1
श्रीकृष्ण अपने पुरुषार्थ के द्वारा गंगा नदी को पार करने में समर्थ हुए। पाण्डव उन्हें प्रणाम करके कहने लगेआप धन्य हैं जो अपने पुरुषार्थ के प्रताप से इस महानदी को पार करने में समर्थ हो सके ।
श्रीकृष्ण ने उत्तर मे बात है ? जब तुम लोग ही करने मे आश्चर्य ही क्या है
?
कहा - इसमे आश्चर्य की क्या गंगा पार कर सके तो मेरे पार
पाण्डव बोले- हमने तो नौका से नदी पार की है ।