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सत्ताईसवाँ बोल - ७ १
है और अनगन तप ही बडा तप समझा जाता है 1 शास्त्रकारो ने भी तप में अनशन को महत्व का स्थान दिया है । अनशन तप कर्मों को नष्ट करने का भी उपाय है और शारीरिक रोगो का भी उससे नाश होता है । अमेरिका के उपवास - चिकित्सको ने उपवास द्वारा रोगियो के ऐसे-ऐसे रोग मिटाये हैं, जिन्हें डाक्टरो ने असाध्य कह कर छोड दिया था । इससे भगवान् महावीर के धर्म की व्यापकता समझी जा सकती है । साम्प्रदायिक दृष्टि से भले ही कोई अपने को भगवान् महावीर का न माने परन्तु भगवान् के सिद्धान्त की दृष्टि से समस्त ससार ही भगवान् महावीर का है और सारा मसार उन्हें मानता है । अनशन तप' को लाभप्रद कौन नही मानता ? सभी लोग और सभी धर्म अनशन को लाभप्रद समझते हैं अनशन तप से आध्यात्मिक लाभ भी होता है और शारीरिक लाभ भी होता है ।
अनशन के पश्चात् ऊनोदरी तप है । जो लोग ऊनोदरी तप का सेवन करते रहते है उन्हें अनशन तप करने की प्राय आवश्यकत्ता ही नही रह जाती । ऊनोदरी का अर्थ है - उदर मे जितनी जगह हो उसमे कम खाना । इस प्रकार ऊनोदरी तप का अनुष्ठान करने से आध्यात्मिक लाभ भी होता है और शारीरिक लाभ भी होता है। मगर लोग तो पेट को मानो 'डिनर बोक्स' समझ बैठे है । वे प्रमाण से अधिक ठूस ठूस कर पेट भरते है जैसे 'लेटर बोक्स' पत्र डालने के लिए सदैव खुला रहता है उसी प्रकार बहुत-से लोगो का मुँह पेट मे भोजन हँसने के लिए खुला रहता है । उन्हे यह विचार ही नही आता कि परिमाण से अधिक भोजन करने से भोजनसामग्री तो विगडती ही है, साथ ही