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छुब्बीसवां बोल
__संयम . .
जिमका मन एकाग्र होता है उन्ही को संयम शोभायमान होता है और जिनमे सयम है उन्ही के मन की एकाअता सार्थक होती है । अत. सयम के विषय में भगवान से प्रश्न किया गया है :
मूलपाठ प्रश्न संजमेणं भंते ! जोवे कि जणयह ? ' उत्तर-संजमेण अंणण्हयत्तं जणयह ।
शब्दार्थ प्रश्न - भगवन् ! सयम से जीव को क्या लाभ होता है?
उत्तर- संयम से अनाहतपन ( अनाश्रव-आते हुए कर्मों का निरोध ) प्राप्त होता है।
अत्तर संजनेमण मेले जो कि वाय
व्याख्यान सयम के विषय मे भगवान् ने जो उत्तर दिया है, उस पर विचार करने से पहले यह देखना चाहिए कि सयम
क्या है ? ..
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