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स्तवनादि का एक संग्रह ४० वर्ष पूर्व श्री हरिसागरजी ने चैत्य वन्दन स्तवन संग्रह के नाम से प्रकाशित किया था ।
विना संवत के उन्लेखनीय ग्रन्थ जिन स्तुति श्लोक ७७ ग्रन्थाग्रन्थ १४८ चतुर्विशति चैत्यवंदन (श्लोक ७३) २ प्रतिक्रमण हेतवा भाषा, विक्रमपुर श्राद्ध प्रायश्चित विधि, बालूचर पर समयसार विचार संग्रह (?) विचार शतक बीजक जयतिहुउरण भाषा बद्धकाव्य, पद्य ४१, महिमापुर,
(कातेला सोभाचन्द सुत
गूजरमल भ्राता तनसुख प्राग्रहे) ८) हित शिक्षा द्वात्रिशिका (स. १८६८ पूर्व) ६) संग्रहणी सपर्याय (प्रति महिमा भक्ति भंडार) १०) पार्श्व स्तोत्रवृति आदि अनुपलब्ध १ चौबीसी काव्य की गेय पद्धति २ पंच तीर्थी स्तोत्र ३ प्रश्नोतर शतक ४ नग्न पाखण्ड मत स्वरूपाष्टक ५ मुक्तावलि फक्किका प्रश्न ६ समाप्ततंत्र सेग ७ सूक्ति रत्नावली भाषा ८ आलोयणा विधि भाषा ६ चौबीसो वृत्ति
(उल्लेख पुरानी ग्रन्थ सूची में)
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