________________
( १०४ ) उत्तर:-- साध्वियों को रात्रि में उपाश्रय के द्वार अवश्य बन्द
करना चाहिये। किन्तु जिनकल्पी साधु कदापि द्वार बन्द नहीं करे, स्थविरकल्पी कारणवश द्वार बन्द कर सकते हैं। इस सम्बन्ध में बृहद्भाष्य की टीका में कहा है कि"साध्वीभिः निशि अवश्यं कपाटादिना वसति द्वारं स्थगनीयं अन्यथा प्रायश्तिाऽऽपत्तेः।" जिनकल्पिकास्तु सर्वथा द्वारं नैव स्थगयन्ति निरपवादानुष्ठान परत्वात् तेषां, तथा च जिनानां भगवतामियमाज्ञाऽस्ति यत् स्थविर कल्पिकः कारणे यत
नया द्वारं स्थगयन्ति ।" (इसका आशय ऊपर की पंक्तियों में दे दिया गया है।) शंका--द्वार बन्द करने का क्या कारण है ? समाधानपडिणी तेण सावय उभामगगोण साणणप्पज्ज । सीयं व दुरहियासं दीहा पक्खी वा सागरिए । ___-उपाश्रय के द्वार यदि खुले हों तो विरोधी मनुष्य प्रवेश करके हनन अथवा नाश कर सकता है, इसी प्रकार उपधि चोर, शरीरचोर, सिंह, व्याघ्र, प्रादि हिंसक जन्तु, परदारिक, गाय, बैल एवं श्वान आदि भी प्रवेश कर सकते हैं। "अणप्पजत्ति" व्यग्रचित्त परवशात्मा साधु, यदि द्वार खुले हों तो निकल कर जा सकता है। इसके अतिरिक्त असह य हिमकण संयुक्त अत्यधिक शीत भी पड़ता है, सर्प, कौए, कबूतर आदि
Aho! Shrutgyanam