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प्रश्न १४५--श्री महावीर स्वामी का अम्बड़ नाम का एक
श्रावक था वह जाति से ब्राह्मण था या क्षत्रिय ?, तथा उसमें जो विविध रूप करने का सामर्थ्य था वह तपस्या से उत्पन्न वैक्रियलब्धि आदि के बल से था या प्रसन्न हुए किसी देवता के द्वारा दत्त विद्याबल से था ? और आगामी चतुर्विशतिका में तो तीर्थङ्कर होने वाला है वह अम्बल
कौन है ? उत्तर -- यहां शास्त्रीय दृष्टि से विचार करने पर तो
यह ज्ञात होता है कि श्री महावीर स्वामी के प्रम्बड़ नाम के दो श्रावक हुए ऐसा सम्भव है ? इस सम्बन्ध में औपपातिक उपाङ्ग में कहा है कि वीर स्वामी का श्रावक अम्बड़ परिबाज़क जाति से ब्राह्मण था । तथा छट्ट, अट्ठम आदि की अधिक तपस्या से उसको अवधि ज्ञान एवं वैक्रियलब्धि आदि उत्पन्न हो गई थी। उसके ७०० शिष्य थे । अन्त में वह अनशन से ब्रह्मलोक को गया व बाद में वह महाविदेह क्षेत्र में मोक्ष को प्राप्त करेगा। इस सम्बन्ध में कहा भी
है कि"तत्थ खलु इमे अटु माहण परिव्वायगा भवंति तं जहा-कएहे य १ करकंडेय २ अंबड़े ३ परासरे ४ कण्हे ५ दीवाय ६ चेव देवगुत्ते य ७ नारए ८"
इत्यादि सूत्र की विवेचना सूत्र से ही जानना चाहिये क्वेिचन अधिक होने के कारण यहां नहीं लिखा जाता है।
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