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उस स्थान के स्वामी की अथवा उसके अभाव में अवग्रहदेव की अाज्ञा लेकर पुनः ठहरना चाहिये। प्रश्न १०३--साध्वियों के उपाश्रय में रात्रि के समय कोई
चोर आदि प्रवेश करे तो उन्हें क्या बोलना
चाहिये? उत्तर- साध्वियों के उपाश्रम में रात्रि के समय यदि कोई
चोर आदि प्रवेश करे तो द्वारस्थ साध्वी को "कौन है ?" ऐसा नहीं बोलना चाहिये । ऐसा बोलने से पड़ोस में रहने वाले मनुष्यों को शंकादि हो जाती है। अतः “छु छु वाहड़ वाहड़" इस प्रकार बोलना चाहिये । अथवा हे अनाथ ! क्या तेरे माता पिता नहीं है-जिससे तू इस समय घूमता है ? और इस अन्योक्ति से उसको कहना चाहिये कि-हे दुष्ट बैल यहां हमारे उपाश्रय में क्यों घुस आया है, अरे अभागे ! यहां तेरे योग्य कोई स्थान नहीं है, भाग
जा ! यहां क्या खावेगा? ऐसा वृहत्कल्प की टीका में कहा है। प्रश्न १०४-यदि कोई साधु परलोक गमन करे तो कौनसी
विधि करनी चाहिये ? उत्तर- इसका उत्तर बृहत्कल्प भाष्यादि में जो दिया गया है,
वह संक्षेप में इस प्रकार है । "ज वेलं कालगो निक्कारणे कारणे भवे निरूहो" जग्गण बंधण छेयणे एतं तु विहिं तहिं कुज्जा ॥१॥ -रात्रि में या दिन में जब भी साधु स्वर्गवासी हो, उसी
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