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गृह कोकिला के प्रवयव मिश्रित भोजन से पेटगृहकोकिला उत्पन्न होती है ।
प्रश्न - १४३ कतिपय प्राधुनिक पाखण्डी निम्ह ऐसा कहते है कि अभयकुमार के द्वारा भेजे गये रजोहरणादि के दर्शन से आर्द्र कुमार प्रतिबोध को प्राप्त हुआ था। यह वचन आगम के अनुसार है या आगम विरुद्ध है ?
यह वचन आगम विरुद्ध ही जानना चाहिये । उत्सूत्र भाषी के अतिरिक्त अन्य कौन इस प्रकार स्वकपोल कल्पित सूत्र विरुद्ध बचन कहने का साहस कर सकता है । क्योंकि सूत्र में, साक्षात् एकान्त में जिन प्रतिमा को देखकर प्रार्द्रकुमार ने प्रति-बोध प्राप्त किया था, ऐसा कहा है । इस सम्बन्ध में सूत्रकृताङ्ग सूत्र के प्रार्द्रकीय अध्ययन की नियुक्ति का जो पाठ है, वह इस प्रकार है:यथाः - " संवेग समावनो मायी भत्तं चत्तु दिय लोए । चइऊणं ऊदहरे ऊदसुओ ऊदो जाओ ॥ ६३ ॥ पीतो दोपहर दो पुच्छण प्रभयम्स पट्टधे सो त्रि ।
उत्तर
वि सम्मत्ति होज्ज पडिमा रहस्स गयं ॥ ६४ ॥ दछु सबुद्धो रक्खेिो य आसा वाहण पलाश्रो । पन्वइयं तो धरिश्रो रज्जं न करेइ को अपणो ॥ ६५॥
आर्द्रकुमार का जीव पूर्व भव में वसन्तपुर में सामायिक नाम का खेडूत था । उसने अपनी पत्नी के साथ दीक्षा ली । एक समय गोचरी जाते हुए दोनों मिल गये । पत्नी को देख
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