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उनमें आकाश के पाठ मध्यप्रदेश तो समभूतल प्रदेश में मेरु के मध्य स्थित हैं ही यह प्रसिद्ध ही है, किन्तु धर्म, अधर्म और जीवास्तिकाय के मध्यप्रदेश कहाँ रहते हैं ? तथा केवली भगवान् जब समुद्धान करते हैं, तब जीव के आठ मध्य प्रदेश कहां रहते हैं ? (१) और वे पाठ जीव प्रदेश कितने प्रकाश प्रदेशों में अवगाहन करते हैं ? (२) तथा वे आठ प्रदेश कर्मों से लिप्त होते हैं
कि नहीं? (३) उत्तर --- धर्मास्तिकाय एवं अधर्मास्तिकाय के जो आठ प्रदेश
हैं वे सर्वदा आकाशास्तिकाय के पाठ रूचक प्रदेशों
में रहते हैं, क्योंकि इन दोनों के प्रदेश लोकाकाश के समान प्रमाण वाले हैं तथा अपने प्रदेशों से लोकाकाश प्रदेशों में व्याप्त होकर सर्वदा अविचल रूप में रहते हैं।
जीवों के पाठ मध्यप्रदेश तो अपने अपने शरीर के मध्यभाग में ही सर्वदा रहते हैं तथा केवली समुद्धात के समय ये मेरू पर्वत के मध्य में स्थित आकाशास्तिकाय के आठ रूचक प्रदेशों में रहते हैं । एवं अन्य समय में अविचल हैं ही। (१) - जीवों के ये आठ रुचक प्रदेश जधन्य से एक आकाश-प्रदेश में अथवा तीन, चार पांच या ६ आकाश प्रदेशों में भी रहते हैं, क्योंकि इनमें संकोच एवं विकास का स्वभाव रहता है। उत्कृष्ट से आठ आकाश प्रदेशों में (एक एक प्रदेश में) अवगाहन करते हैं। परन्तु सात अाकाश प्रदेशों से अवगाहन नहीं करते क्योंकि इनका वैसा ही स्वभाव है।
(२) जीवों के ये आठ रूचक प्रदेश अविचल होने से कमों से लिप्त नहीं होते । सर्वदा निराकरण ही रहते हैं। शेष प्रात्म
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