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प्रश्नोत्तर सार्धशतकम्
( उत्तरार्द्धम् ) प्रणम्य परमानन्दं सम्पन्नं नाभिनन्दनम् । संग्रहेऽथोत्तरार्धस्य यते सबोध वृद्धये ।।
-परमानन्द से सम्पन्न नाभिनन्दन श्रीऋषभदेव स्वामी को नमस्कार करके सद्बोध की वृद्धि के लिये अब मैं उत्तरार्ध के संग्रह में प्रयत्न करता हूँ। प्रश्न ७६:-वर्तमान समय में शिष्यादि के दीक्षादि कार्यों में
जिन प्रतिमाओं पर गुरुजन वासक्षेप करते हैं, यह द्रव्यस्तव होने से साधुओं को करना उचित है या
अनुचित ? उत्तर- दीक्षादि विधि में भगवान की प्रतिमाओं पर द्रव्य
स्तव होने पर भी वासक्षेप करना साधुओं के लिये भगवान् ने विधेय रूप में आज्ञा दी है। सर्वथा
निषेध नहीं किया है, अतः उचित है। श्री हरिभद्रसूरि ने पञ्चवस्तुक शास्त्र में दीक्षा विधि. प्रकरण में ऐसा लिखा हैयथाः--तत्तो य गुरुवासे गिरिहय लोगुत्तमाण पाएसु ।
देइय तो कमेणं सव्वेसिं साहुमाईणं ॥
Aho ! Shrutgyanam