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( १०१ ) प्रश्न ८२:-जिस प्रकार साधुओं के नवकल्पी विहार है, उसी
प्रकार साध्वियों के भी होता है या कोई अन्य
प्रकार है ? उत्तर :- साधुओं के आठ मास कल्प एवं नवमा वर्षाकल्प
अर्थात् चातुर्मास इस प्रकार नवकल्पी विहार होता है एवं साध्वियों के तो एक वर्षाकल्प और चार मास कल्प इस प्रकार पंच कल्पी विहार होता है, क्योंकि इनके दो महीने का कल्प होता है। जैसा कि
पंच कल्प चूणि में कहा है कि
"साहहिं नव वसही ओघेतल्यायो अट्ठ उउबद्ध एगा बासाणं वसही इत्यादि, अज्जाणं पुण पंच वसही प्रो घेतव्यानो कम्हा जम्हा तासिं दुमासं कप्पो ।
-साधुओं को नववसति ग्रहण करनी चाहिये । पाठ ऋतुबद्ध काल में याने शेष समय में, एवं एक वर्षाकाल में । साध्वियों को पाँच वसति ग्रहण करनी उचित है, क्योंकि उनके लिये दो मास का मासकल्प कहा गया है। इस प्रकार बहरकल्प में भी कहा है। इसके अतिरिक्त विहार करने की इच्छा वाले साधु-साध्वी वसति (स्थान) का प्रमार्जन कर पुनः विहार करे ऐसा ओघानियुक्ति में उत्लेख है। यथा:- "संमज्जिा पडिस्सया पुव्वंति" इत्यादि।
-प्रथम उपाश्रय का परिमार्जन-संमार्जन करके बाद में उपधि ले एवं शय्यातर को कहकर पुनः साधु साध्वी को विहार करना चाहिये।
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