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उत्तर
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२२ बीज बुद्धि, २३ तेजोलेश्या, २४ आहारकशरीर, २५ शीतलेश्या, २६ वैक्रिय शरीर २७ अक्षीण महानसी, २६ पुलाक लब्धि, ये अट्ठाईस लब्धियां भव्य पुरुषों को होती हैं, परन्तु भव्य स्त्रियों को, भव्य पुरुषों को एवं अभव्य स्त्रियों को कितनी होती हैं ।
इन अट्ठाईस लब्धियों में से १ अरिहन्त, २ चक्रवर्ती, ३ वासुदेव, ४ बलदेव, ५ संभिन्नश्रोत्, ६ चारण, ७ पूर्वधर, ८ गणधर ६ पुलाक, एवं १० प्राहारक ये दस लब्धियां भव्य स्त्रियों को नहीं होती है । शेष १५ लब्धियाँ होती हैं। जो मल्लिनाथ स्वामी को स्त्रीपने में तीर्थंकर पद प्राप्त हुआ है, वह आश्चर्यभूत होने से नहीं गिनना चाहिये । इसी प्रकार के वली, ऋजुमति, एवं विपुलमति रूप तीन लब्धियों के सहित उपर्युक्त दस लब्धियाँ अर्थात् १३ लब्धियाँ
भव्य पुरुषों को नहीं होती हैं, शेष १५ लब्धियाँ होती हैं । ऐसे ही अभव्य स्त्रियों को भी ये ऊपर कही गई १३ लब्धियाँ नहीं होती एवं १४ वीं मधुक्षीरासव लब्धि भी इनको नहीं होती । शेष १४ लब्धियाँ होती हैं ।
प्रवचन सारोद्धार सूत्र में इसी आशय की गाथाए इस प्रकार हैं :
"भवसिद्धिय पुरिसाणं एयाओ हुंति भणियलद्वीयो । भवसिद्धिय महिलाण वि जत्तिय जायंति तं वोचं ॥१॥
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