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( ८८ ) शंका-कहीं, तेजो लेश्या का सामर्थ्य सोलह देश को जलाने का लिखा है, यह कैसे ?
समाधान-यह भी श्री भगवती सूत्र के पन्द्रहवें शतक के अनुसार ही कहा गया है। श्री भगवती सूत्र में सोलह देश जलाने की शक्ति तेजोलेश्या की कही है, वह इस प्रकार है
पाठ--"अज्जोत्ति समणे भगवं महाबीरे समणेणिग्गंथे आमंतेत्ता एवं क्यासि जाव तिण्णं अज्जो गोसालेणं मंखलिपुत्रेणं ममबहाए सरीर गंसि तेयं णिस? सेणं अलादि पज्जते सोल्सगहं जणवयाणं तं० अंगाणं बंगाणं कलिंगाणं मगहाणं मलहाणं मलयाणं मालपगाणं अच्छाणं वच्छाणं कच्छाणं पाढाण लाटाणंबज्जीणं मोलीणं कोसलगाणं आवाहाणं संभुत्तराणं घाताए वहाएउच्छादणयाए भासीकरणयाए ति"
--श्रमण भगवान् महावीर श्रमण निर्ग्रन्थों को बुलाकर कहते हैं कि-हे आर्य ! मंखलि पुत्र गोशाल के द्वारा मेरे वध के लिये उसके शरीर में रहा हुआ जो तेज निकाला गया वही तेज सोलह देशों को जला सकता है। उन १६ देशों के नाम इस प्रकार हैं- १ अग, २ बंग, ३ कलिंग, ४ मगध, ५ मलय, ६ मालव, ७ अच्छ, ८ वच्छ. ६ कच्छ, १० पाढ, ११ लाढ, १२ वर्जी, १३ मोली, १४ कोशल, १५ अावाह एवं १६ संभूत्तहर। उसके शरीर का वही तेज इन सोलह देशों के घात, वध, नाश एवं भस्म करने में समर्थ है। तेजोलेश्या का यह सामर्थ्य सामान्यतया नहीं कहा गया है, किन्तु विशेष विवक्षा के साथ ही कहा गया मालूम होता है।
Aho! Shrutgyanam