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इस प्रकार जिनकी छः मास ऊपर की वृद्धि से आयुष्य शेष रही हो एवं वे केवल ज्ञान प्राप्त करलें तो समुद्धात करते हैं अथवा न भी करते हैं, यह शेष|: " अर्थ है ।
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शब्द का
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प्रश्न ५७ : - भगवान् केवली समुद्घात
करके मोक्ष को पधारते हैं या अन्तर्मुहूर्त के पश्चात् अथवा छः मास के पश्चात् ?
उत्तर :- भगवान् केवली समुद्घान करके ग्रन्तर्मुहूर्त के पश्चात् ही मोक्ष पधारते हैं; ऐसा प्रज्ञापना सूत्र में कहा है, कि भगवान् केवली समुद्घात से निवृत्त होकर पश्चात् तत्क्षण ही मनोयोग, वचनयोग एवं काययोग को काम में लेते हैं, जिससे वे भगवान् अचिन्त्य प्रभावशाली केवली समुद्घान के बल से अधिक स्थिति वाले अवधारणीय नाम, गोत्र एवं वेदनीय कर्म को प्रायुष्य कर्म के समान बनाकर अन्तर्मुहूर्त में परम पद को प्राप्त हो जाते हैं । उस समय जो प्रतुत्तर विमान के देव मन से पूछे उसका उत्तर देने के लिये मनोवर्गणा के पुद्गल ग्रहण करके मनोयोग को काम में लेते हैं वह भी असत्य प्रमृषा रूप होता है । मनुष्यादि द्वारा पूछा गया हो । या न पूछा गया हो तो भी कार्य व शात् वचन योग के पुद्गल ग्रहण करके वचन योग का व्यवहार करते हैं । वह भी सत्य और असत्य प्रमृषारूप होता है । इसी प्रकार गमन एवं आगमन आदि में काययोग का व्यवहार करते हैं । क्योंकि भगवान् कार्यवशात् किसी स्थान से विवक्षित
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