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कहा कि यह पर्वत किाने समय रहेगा ! मन्त्रियों ने कहा कि यह अवसर्पिणी काल तक रहेगा। ऐसा हमने केवली जिन के पास से सुना है।) ___ इस सम्बन्ध में जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में सुषम सुषम पारकादि वर्णन में वापी दोधिकादि कृत्रिम पदार्थों का सद्भाव बतलाते हुए कहा है, वह देखना चाहिये । इसी प्रकार हीर प्रश्न में भी इस प्रश्न का इसी प्रकार समाधान किया गया है ।। प्रश्न ५५ :-क्षीण मोह नामक बारहवे गुणस्थानक के अन्तिम समय
में सर्व ज्ञानावरणादि कर्म का क्षय होता है. ऐसे समय में केवल ज्ञान की उत्पत्ति मानी गई है तथा चौदहवें गुण स्थानक के अन्तिम समय में शेष सभी कर्मों के क्षय होने से उसी समय सिद्धत्व प्राप्त होता है,अनन्तर समय में नहीं । शास्त्र में तो केवल ज्ञान एवं सिद्धत्व अनन्तर समय में प्राप्त होते हैं, ऐसा सुना जाता है। ऐसी स्थिति
में कौन सा मत मानना उचित है ? उत्तर :-जिन प्रवचन ( जिन शासन ) में निश्चय और व्यवहार
दो नय हैं । निश्चय नय के मत से बारहवें व चौदहवें गुणस्थानक के अन्तिम समय में ही केवलोत्पत्ति एवं सिद्धत्व प्राप्त होते हैं और व्यवहार नय के अनुसार तो अनन्तर समय में । अतः दोनों ही 'मानना चाहिये।
ऐसा ही भाष्य में भी कहा है यथा :आवरणक्खय समए निच्छ इयनयस्स केवलुप्पत्ती । तत्तो णंतर समए ववहारो केवलं भणइ त्ति ॥१॥
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