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( इस गाथा का तार्य ऊपर की पंक्तियों में दे दिया गया है | )
प्रश्न ५६ - केवली समुद्घान कौन करते हैं और कौन नहीं करते ? उत्तर : जिन केवलियों के आयु नाम - गोत्र एवं वेदनीय कर्म ये चारों समान होते हैं तथा क्षय को प्राप्त होते हैं वे केवली केवलीसमुद्धात नहीं करते और जिनका आयुष्य थोड़ा हो तथा दूसरे कर्मों की स्थिति अधिक हो तो वे चारों कर्मों की स्थिति समान करने के लिये समुद्धात करते हैं । ऐसा पन्नवरणा सूत्र के समुद्घात पद में कहा है ।
इस सम्बन्ध में गुण स्थानक समारोह में इतना विशेष है :यथाः - यः पण्मासाधिकायुष्को, लभते केवलोद्गमम् । करोत्यस समुद्धा शेवाः कुर्वन्तिवा न वा ॥ उक्त च - छम्मासाऊ सेसे उप्पन्नं जेसि केवलं गाणं ।
ते नियमासमुग्धाय सेवा समुग्धाय भजयत्ति ॥
जो मनुष्य छ मास से अधिक आयुष्य वाला हो एवं केवल ज्ञान प्राप्त करले तो वह समुद्धात करता है दूसरे करें अथवा न करें | इस प्रकार गुण स्थानक समारोह में कहा है । दूसरे स्थान पर ऐसा कहा गया है कि छः मास का आयुष्य शेष रहा हो और जिनको केवल ज्ञान उत्पन्न हो जाय वे अवश्य समुद्धात करते हैं दूसरों के लिये यह नियम नहीं है ।
Aho ! Shrutgyanam