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जंबुद्दीवे नयरे रयणीइ मुहुत्त तिगे अइक्कंते । उदये तहेव सूरो मुहुत्ततिगे सेसे अस्थमश्रो ॥३॥
-कर्क संक्रान्ति के प्रथम दिन पूर्व विदेह क्षेत्र में तीन मुहूर्त दिन शेष रहे तब भरत क्षेत्र के मनुष्य सूर्य को उदय होता हुआ देखते हैं। भरत क्षेत्र में भी तीन मुहूर्त दिन शेष रहने पर पश्चिम महाविदेह के मनुष्य उदय होता हुआ सूर्य देखते हैं। इस प्रकार दिन सर्वत्र समान होता है। जम्बू द्वीप के भरत क्षेत्र में शीत ऋतु में तीन मुहुर्त रात्रि व्यतीत होने पर पश्चिम महाविदेह में सूर्योदय एवं तीन मुहूर्त रात्रि शेष रहने पर सूर्यास्त होता है। प्रश्न ४३:-जब सौधर्मेन्द्र जिन जन्मादि महोत्सवों में यहां आते
हैं, तब अपने सेनापति को आज्ञा देकर सुघोषा घण्टा बजवाते हुए अपने देवलोकवासी देवों को बुलाते हैं। यह प्रसिद्ध है, परन्तु अन्य ६३ इन्द्र किस देवता को देकर किस नाम के वादित्र को बजवाते हए अपने स्थानवासी देवों को बुलाते हैं ?
उत्तर :-सौधर्म, सनत्कुमार, ब्रह्म, महाशुक्र एवं प्राणतेन्द्र
ये अपने-अपने सेनापति हरिणैगमेषी देव को आज्ञा देकर अपनी-अपनी सुघोषा घण्टा को बजवाते हैं । तथा ईशान, माहेन्द्र, लान्तक, सहस्रार और अच्युतेन्द्र ये इन्द्र अपने-अपने लघु पराक्रम नामक सेनापति देव को प्राज्ञा देकर अपनी-अपनी महाघोषा घंटा बजवाते हैं। ऐसे ही चमर और बलि असुरेन्द्र के द्रुम तथा महाद्रुम सेनापति हैं और इनकी अोघ
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