Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ११२, ११३
२३४-२३६ वैक्रियएकादशक, मनुष्यद्विक, उच्चगोत्र का जघन्य प्रदेशसंक्रम स्वामित्व
२३५ गाथा ११४
२३७-२३८ सातावेदनीय, पंचेन्द्रियजाति आदि पैंतीस शुभ प्रकृतियों का जघन्य प्रदेशसंक्रम स्वामित्व
२३७ गाथा ११५
२३६-२४० तिर्यंचद्विक, उद्योत नाम का जघन्य प्रदेशसंक्रम स्वामित्व २३६ गाथा ११६
२४१-२४२ जातिचतुष्क, आतप, स्थावरचतुष्क का जघन्य प्रदेशसंक्रम स्वामित्व
२४१ गाथा ११७
२४२-२४३ सम्यग्दृष्टिबंध-अयोग्य सोलह अशुभ प्रकृतियों का जघन्य * प्रदेशसंक्रम स्वामित्व
२४३ गाथा ११८
२४३-२४४ आयुचतुष्क, औदारिकसप्तक का जघन्य प्रदेशसंक्रम
स्वामित्व गाथा ११६
२४४-२४५ पुरुषवेद, संज्वलनत्रिक का जधन्य प्रदेशसंक्रम स्वामित्व २४५
उदवर्तना और अपवर्तनाकरण उद्वर्तना और अपवर्तनाकरण की उत्थानिका
२४७ गाथा १
२४७-२५१ निर्व्याघात स्थिति-उद्वर्तना का निरूपण
२४७ गाथा २
२५२-२५४ निक्षेप प्ररूपणा
२५३ गाथा ३, ४
२५४-२५६ जघन्य और उत्कृष्ट निक्षेप का निश्चित प्रमाण
२५५
२४४
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