Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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जघन्य
मूलप्रकृतियों के स्थितिसंक्रम के साद्यादि भंगों का प्रारूप अजघन्य
। अनुत्कृष्ट उत्कृष्ट सादि । सा । अनादि । ध्रुव । सादि । अध्रुव | सादि अध्रुव | सादि अध्रुव
प्रकृति
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ज्ञाना-दर्शना अंतराय
जघन्य | भव्य - अभव्य १२ वें विच्छेद परासंक्रम
गुण होने से वर्त- वर्त- वर्त- वतकाल
समया
मान । मानमान - मान । धिक
होने से होने से होने से होने आवलिका शेष
संक्रम आदि करणत्रय-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ५०
नाम, गोत्र,
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वेदनीय,
आयू
के अंत में क्षपक
मोहनीय
१० वें
गुण
क्षायोप- भव्य ।
साद्यशमिक
प्राप्त ११ वें गणस्थान से गिरने वाले के
स्थान
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