Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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३००
पंचसंग्रह : ७
निद्दादुगस्स साहिय
बावीसे गुणवीसे आवलियदुग
४८।१११ पन्नरसेक्कारसे य सत्ते य २३१५६ नियनिय दि िन केइ ३७ बंधिय उक्कोसरसं निव्वाघाए एवं ठिइघातो १४।२७२ आवलियाओ
५७।१३३ निव्वाधाए एवं वाघाओ६।२६० बंधुक्कोसाण ठिई मोत्तु दो ३७।६१ पढमचउक्कं आइल्ल
बंधुक्कोसाणं आवलिए विज्जयं ३२।७६ आवलिदुगेण
४२।१०१ पढमचउक्कं तित्थगर ३०१७० भिन्नमुहत्ते सेसे पढमं संतचउक्कं इगतीसे ३१।७३ जोगकसाउ
६३।२०५ पढमाओ बीअखड़
मिच्छे खविए मीसस्स नीत्थ ६।१४ विसेसहीणं
७१।१६५ मूलठिईण अजहन्नो सत्तण्ह ५०।११८ पणदोन्नि तित्नि एवक्के २७।६४ लोभस्स असंकमणा उव्वलणा १६/५० पणवीसो संसारिसु इगवीसे २१।५८ वरिसवरित्थि पूरिय पन्नरससोलसत्तर
सम्मत्त
१६२०८ अडचउवीसा
१२।२४ वुज्झा-उव्वलण अहापवत्त ६८।१५८ परघाय सकलतसच उसुरा ६६।२१४ वेउव्वेक्कारसग उव्वलियं ११२।२३४ पलियस्ससंख भाग
समयाहिआवलीए आऊण अंतमुहत्तण ७०।१६३ जहण्णजोग
११८।२४३ पिंड पगईण जा उदयसंगया ८०१८४ समयाहियइत्थवणा पुसंजलणतिगाणं
बंधावलिया
१३।२७० जहण्णजोगिस्स ११६।२४४ सम्मविट्ठी न हणइ पुसंजलणाण ठिई
- सुभाणुभाग
६१।१४० जहन्नया
४६।११३ सम्ममीसाई मिच्छो पूरित्तु भोगभूमीसु जीविय ६५।२०७ सुरदुगवे
७५।१७३ बझंतियासू इयरा ताओवि १।३ सव्वग्घाइ दुठाणो बहिय अहापवत्तं
मीसायवमणु
५४।१२८ सहेउणाहो
७६।१८३ साइयवज्जो अजहण्णसंकमो ६४।१४५ बायरतसकालमेवं वसितु ८७।१६५ साइयवज्जो बायरतसकालूणं कम्माठिइ ८५।१६५ वेयणियनामगोयाण ६५।१४८ बावीसे गुणवीसे
साउणजसदुविहकसाय सेस ६१८ पन्नरसेक्कारसे सु २२।५८ साबाहा आउठिई आवलिगूणा ४३/१०३
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