Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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३३०
पतग्रह | प्रायोग्य | संक्रम | सत्ता
काल
गुणस्थान
स्वामी
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६३
। अन्तर्मुहूर्त
पहला
| नरकद्विक, वैक्रिय सप्तक की
बंधावलिका बीतने के बाद मनुष्य, तियंच नरकद्विक, वैक्रिय सप्तक की बंधावलिका में वर्तमान तिर्यंच, मनुष्य
८४ । ६३ । आवलिका
२८ प्र.
देव
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१०२ प्र. | १०२ प्र. | पल्य का असं. भाग १ से ८/६ भाग | मनुष्य, तिर्यंच ६५, ६५,, | अन्तर न्यून पूर्व
कोटि का तीसरा
भाग अधिक ३ पल्य ६५, आवलिका
पहला देवद्विक की बंधावलिका में वर्त
मान मनुष्य, तिर्यंच अन्तर्मुहूर्त
देवद्रिक, वैक्रिय सप्तक की।
बंधावलिका बीतने के बाद ६३ ,, | आवलिका
देव द्विक, वैक्रिय सप्तक की बंधावलिका में वर्तमान मनुष्य, तिर्यच
पंचसंग्रह भाग ७ : परिशिष्ट १३
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