Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 368
________________ पतग्रह | प्रायोग्य । संक्रम । सत्ता काल गुणस्थान स्वामी Jain Education International अन्तर्मुहूर्त पहला तिर्यंच, मनुष्य २५ प्र. अपर्याप्त मनुष्य पंचसंग्रह भाग ७ : परिशिष्ट १३ । WwU आवलिका १०२ अन्तर्मुहूर्त " , २६ प्र. पर्याप्त एकेन्द्रिय देव For Private & Personal Use Only ६३ २८ प्र. नारक १०२ तिर्यच, मनुष्य सीर्थकर नाम की सत्ता वाला नरकाभिमुख मनुष्य, अन्तिम अन्तर्महर्त में तिर्यंच, मनुष्य नरकद्विक की बंधावलिका में वर्तमान तिर्यच, मनुष्य " www.jainelibrary.org आवलिका ३२६

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