Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 371
________________ mmmmmmmmmmm पतद्ग्रह | प्रायोग्य | संक्रम | सत्ता काल गुणस्थान .. स्वामी Jain Education International २६ प्र. । विकलेन्द्रिय | १०२ १०२ प्र. | १०२ प्र. | अन्तर्मुहूर्त पहला मनुष्य तिर्यंच ८२ २६ प्र. | तिर्यच | पंचेन्द्रिय पल्यो. असं. भाग ३३ सागर + अंत. अन्तर्मुहूर्त मनुष्य, तिर्यंच, देव, नारक मनुष्य, तिर्यच For Private & Personal Use Only तिर्यंच ३० प्र. देव ७ से ८/६ भाग ६५, १०२ ॥ आवलिका यति यति आहारक सप्तक की बंधावलिका में देव पंचसंग्रह भाग ७ : परिशिष्ट १३ ३० प्र. | मनुष्य १०३ ,, | १०३ , www.jainelibrary.org ३३ सागर अथवा | चौथा पल्य का अस. भाग ३३ सागर ६६, देव, नारक

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