Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पतद्ग्रह | प्रायोग्य
संक्रम । सत्ता
काल
गुणस्थान
स्वामी
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|१०३ प्र.|१०३ प्र. देशोन पूर्वकोटि | ४ से ८/६ भाग । मनुष्य १०३ ,, | आवलिका
मनुष्य तीर्थंकर नाम की बंधा
वलिका में वर्तमान देशोन पूर्वकोटि
मनुष्य ६५ , ६६, आवलिका
मनुष्य तीर्थकर नाम की बंधावलिका में वर्तमान
पंचसंग्रह भाग ७ : परिशिष्ट १३
१०२ ,,
२६ प्र. | मनुष्य
चारों गति के जीव
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१०२ प्र. १०२ प्र. | ३३ सागर अथवा | १ से ४
पल्य का असं. भाग
६६ , ६६ ,, | अन्तर्मुहूर्त
। पहला
जिन नाम की सत्ता वाला नारक अपर्याप्तावस्था में (सम्यक्त्व प्राप्त न करने तक) चारों गति के जीव मनुष्य, तिर्यच
३३ सागर अन्तर्मुहूर्त .
पहला
आवलिका
मनुष्यढिक की बंधावलिका में वर्तमान तिर्यंच
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