Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 381
________________ Jain 21 पंचसंग्रह भाग ७: परिशिष्ट १२ Education Thternational १८ नरकायु तियंचायु N " " For Private & Personal Use Only rrrrm प्रकृति नाम ज.सक्रम उत्कृष्ट स्थिति संक्रम प्रमाण उत्कृष्ट संक्रम यत्स्थिति स्वामी गुण. जघन्य स्थिति संक्रम प्रमाण यस्थिति स्वामी गुण, पुरुषवेद |आवलिकात्रिकहीन ४० को.को. | आवलिकाद्विकहीन ४० को.को. पहला गुणस्थान| अन्तर्मुहर्तहीन आठ वर्ष । आवलिकाद्विकहीन वर्षां सागरोपम सागरोपम अबाधाहीन ३३ सागरोपम | आवलिकाहीन ३३ सागरोपम १ समय समयाधिक आवलिका १, २,४ " ३ पल्य . " ३ पल्य १,२४,५ २२ मनुष्यायु १ से ११ २३ देवायु " ३३ सागरोपम ३३ सागरोपम छठा गुणस्थान १,२,४ | नरक गति : | आवलिकाद्विकहीन २० को.को. | आवलिकाहीन २० को. को. पहला गुणस्थान अन्तर्मुहुर्तहीन पल्यासंख्य. पल्यासंख्य भाग ६वां आनुपूर्वी २ सागरोपम सागरोपम तिर्यच गति : आनुपूर्वी २ मनुष्यगति आवलिकात्रिकहीन २० को.को. आवलिकाद्विकहीन २० को.को. उदयावलिकाहीन अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त - १३ वां __ आनुपूर्वी २ सागरोपम सागरोपम देवगति : आन्पूर्वी २ एकेन्द्रिय जाति आवलिकाद्विकहीन २० को.को. | आवलिकाही० २० को. को. अन्तर्मुहर्तहीन पल्यासंख्य. पल्यासंख्य भाग सागरोपम सागरोपम विकलेन्द्रियत्रिक आवलिकात्रिकहीन २० को.को. जाति ३ सागरोपम पंचेन्द्रिय जाति उदयावलिकाहीन अन्त- अन्तर्मुहूर्त १३ वां मुहूर्त औदारिक सप्तक वैक्रिय सप्तक आवलिका– आहारक सप्तक , त्रिकहीन अन्तः को.को.| आ. द्विक हीन अन्तः सातवां गुण. उदयावलिहीनांतर्मुहूर्त तेजस् सप्तक , द्विक हीन २० , आ. हीन २० पहला गुण. आद्य संहनन पंचक ,त्रिक हीन ___, द्विक हीन सेवात संहनन ,, द्विक हीन आ. हीन आद्य संस्थान पंचक त्रिक हीन ,, द्विक हीन हुण्डक संस्थान ,, द्विक हीन शुभवर्णादि एकादश त्रिक हीन ,, द्विक हीन नीलवर्ण-तिक्तरस शेष अशुभ वर्णादि सप्तक " M س س س www.jainelibrary.org م

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