Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 385
________________ 6 प्रकृति नाम वैक्रिय सप्तक आहारक सप्तक तेजस - कार्मण सप्तक, अगुरुलघु, निर्माण प्रथम संहनन प्रथम संस्थान, शुभ विहायोगति, सुभगत्रिक अन्तिम संस्थान पंचक व संहनन पंचक, अशुभ वर्णादि नवक शुभ वर्णादि एकादश अशुभ विहायोगति आतप उद्योत नाम तीर्थकर नाम स्थिरद्विक, यशः कीर्ति स्थावर, सूक्ष्मत्रिक, अस्थिरद्विक, अयशःकीर्ति, दुर्भगत्रिक, नीच गोत्र उच्च गोत्र उत्कृष्ट अनुभाग संक्रम प्रमाण चतुःस्थान और सर्वघाति " " "7 77 "7 द्विस्थान और सर्वघाति चतुःस्थान और सर्वघाति 37 " " Jain Education International जघन्य अनुभाग संक्रम प्रमाण विस्थान और सर्वघाति " " "1 " را 77 "" 22 ار " 17 उत्कृष्ट अनुभाग सक्रम स्वामित्व " क्षपक स्वबंध विच्छेद से | असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त जघन्य योगिकेवली तक के जीव अनुभाग बांध. आवलिका के बाद सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि चतुर्गति के जीव क्षपक स्वबंध विच्छेद से रायोगिकेवली तक के जीव युगलिक और आनतादि देव विना चतुर्गति के जीव क्षपक स्वबंध विच्छेद से सयोगिकेवली तक के जीव युगलिक और आनतादिक देवों वर्जित शेष चतुर्गति के जीव सम्यक्त्वी, मिथ्यात्वी चतुर्गति के जीव 33 क्षपक स्वबंध विच्छेद से सयो.के. तक के तीर्थकर युगलिक और आनतादि देव वर्जित चारों गति के मिथ्यादृष्टि क्षपक स्वबंध विच्छेद से सयोगिकेवली तक के जीव जघन्य अनुभाग संक्रम स्वामित्व For Private & Personal Use Only अप्रमत्त यति जघन्य अनुभाग बांध. आवलिका के बाद हतप्रभूत अनुभाग सत्ता वाले सूक्ष्म एकेन्द्रिय आदि " 13 13 " परिशिष्ट : १३ ,. 11 تر क्षपक स्वबंध विच्छेद से | हतप्रभूत अनुभाग सत्ता वाले सयो. के. तक के जीव सूक्ष्म एकेन्द्रिय आदि मनुष्य जघन्य अनुभाग बांध. आवलिका के बाद 21 सूक्ष्म लब्धि अप. निगोद, जघन्य अनुभाग बांध आवलिका के बाद www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398