Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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सत्ता
काल
परिशिष्ट : ५ प्रकृति संक्रमापेक्षा मोहनीयकर्म के संक्रमस्थानों में पतद्ग्रह स्थान पंचसंग्रह भाग : ७ | ३०६ संक्रम पतद्ग्रह
। गुणस्थान
स्वामी स्थान स्थान ! २७ प्र. ) २२ प्र. २८ प्र. पल्यो० का असंख्या- पहला - मिथ्यात्वी
। तवाँ भाग । साधिक तेतीस सागर चौथा । उपशम, क्षयोपशम
सम्यक्त्वी । देशोन पूर्व कोटि वर्ष पांचवां
छठा, सातवां पल्यो० का असं० भाग पहला
मिथ्यादृष्टि आवलिका
उपशम सम्यक्त्वी प्रथमा
वलिका
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चौथा
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पांचवाँ
२५ प्र.
२१
मिथ्या दृष्टि
छठा, सातवां अनादि-अनन्त, अनादि- पहला । सांत, सादि-सांत
छह आवलिका दूसरा अन्तर्महर्त
तीसरा । आवलिका
पहला
O
३
प्र.
१७ २२
, ,
२७/२८ ।,
२८
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सासादन सम्यक्त्वी मिश्र दृष्टि अनन्तानुबंधि की विसंयोजना कर के आगत मिथ्यादृष्टि