Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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परिशिष्ट : ५
संक्रम
स्थान स्थान
२० प्र.
पतद्ग्रह
כי
2
७
"
प्रकृति संक्रमापेक्षा मोहनीय कर्म के संक्रम स्थानों में पतद्ग्रह स्थान
सत्ता
२२
२१
२१
२४/२८
२१
11
"7
"
ܙ ܙ
11
२४ / २८ प्र.
काल
अन्तर्मुहूर्तं देशोन पूर्व कोटि अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
"
11
गुणस्थान
छठा, सातवां
17
आठवा
नौवां
नौवां
1!
पंचसंग्रह भाग : ७ | ३०८
11
स्वामी
वेदक सम्यक्त्वी
क्षायिक क्षायिक
"
11
उप० श्रेणि, उप० सम्य
क्त्वा नपुं० वेद उपशांत होने पर उपश्रेणि क्षायिक सम्यक्त्वी
अन्तरकरण न करने तक क्षपकश्रेणि कषायाष्टक का क्षय न होने तक उप श्रेणि उप सम्य. | त्रीवेद उपशांत होने पर