Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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२१ प्रकृतिक । मिश्र, सम्यक्त्व भव्यापेक्षा अनादि मिथ्या- अभव्या की उद्वलना
दृष्टि की अपेक्षा पेक्षा करने वाले सादिमिथ्यात्वी
की अपेक्षा १६, १८, १७, १५, कादाचित्क कादाचित्क होने १४, १३, ११, १०, होने की अपेक्षा की अपेक्षा ६, ७, ६, ५, ४, ३,
२, १ प्रकृतिक उच्चगोत्र १ प्रकृतिक अध्र वबंधि अध्र वबंधि होने
होने की अपेक्षा की अपेक्षा नीचगोत्र १ प्रकृतिक अंतराय ५ प्रकृतिक उपशांतमोहगुण भव्यापेक्षा | उपशांतमोहगुण- अभव्यापेक्षा स्थान से गिरने
स्थान अप्राप्त वाले की अपेक्षा
की अपेक्षा नोट-१ आयुकर्म में संक्रम और पतद्ग्रहत्व का अभाव है।
२ नामकर्म के पतद्ग्रह स्थानों की साद्यादि प्ररूपणा का प्रारूप आगे देखिये।
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परिशष्टि : ४
पंचसंग्रह भाग : ७ | ३०५