Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 337
________________ परिशिष्ट : २ गाथा-अकारादि अनुक्रमणिका गाथांश गा. सं. पृ. स. गाथांश गा. सं प./स. अइत्थावणाइयाओ सण्णाओ १७।२७६ इगिविगलायवथावरचउक्कम अइत्थावणालियाए पुण्णाए ८।२६० ११६१२४१ अजहण्णो चउभेओ पढमग ६६।१४६ इच्छियठितिठाणाओ अट्ठाराइच उक्कं पंचे २६।६२ आवलिगं २।२५३ अट्ठारस चोद्ददससत्तगेसु २४।६० ___ इच्छोवट्टणठिइठाणगाउ ११।२६६ अणतित्थुव्वलगाणं संभवओ ६३।१४३ ईसाणांग यपुरिसस्स इथि ६४।२०६ अणुवसमित्ता मोहं उक्कोसगठितिबंधे सायस्स ११४२३७ बंधावलिया ५।२५६ अब्बाहोवरिठाणदलं पडुन्चेह ४।२५८ उक्कोसं डायट्ठिई किंचूणा १५२७२ अरइसोगट्ठकसाय उदयावलि उवरित्था असुभ १०८।२२६६ एमेवोवट्टए १०।२६८ असुभाण पएसग्गं ७७।१७६ उदयावलि उवरित्थं ठाणं १२।२६६ आगन्तु बहु पुरिसं सुंछुभ ६७।२०८ उदयावलिए छाभो आबंधं उव्वट्ट इ सव्वत्थो २०।२८३ अण्णप्पगईए ४५१०६ आयावुज्जोवोराल पढम उदयावलिवज्झाणं ठिईण ११२४७ संघयण ५८।१३५ उबट्टणं च ओवटणं ३५०८७ आवलिअसंखभागाइ जाव ३।२५४ एकट्ठाणजहन्न संकमइ ५६।१३० आवलिदोसंखसा जइ वड्ढइ ७।२६० एवइय संतया जं आसीम पणुवीसो इगवीसो १७१५१ सम्मविट्ठीण ३६६३ अंतोमुहुत्तहीणं एवं उव्वलणासंकमेण ७४।१७२ आवलियदुहीण ४१।६७ ओव्वन्तो य ठिति उदया ६।२६६ ( २९८ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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