Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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संक्रम आदि करणत्रय-प्ररूपणा आधकार : पाराशष्ट १
चउहा पडिग्गहत्तं धुवबंधिणं विहाय मिच्छत्तं । मिच्छाध्रुवबंधिणं साई अधुवा पडिग्गहया ॥१०॥ संतट्ठाणसमाइं संकमठाणाई दोण्णि बीयस्स । बंधसमा पडिग्गहगा अट्ठहिया दोवि मोहस्स ॥११॥ पन्नरससोलसत्तरअडचउवीसा य संकमे नत्थि । अट्ठदुवालससोलसवीसा य पडिग्गहे नत्थि ॥१२॥ संकमण पडिग्गहया पढमतइज्जट्ठमाणचउभेया । इगवीसो पडिग्गहगो पणुवीसो संकमो मोहे ॥१३॥ दंसणवरणे नवगो संकमणपडिग्गहा भवे एवं । साई अधुवा सेसा संकमणपडिग्गहठाणा ॥१४॥ नवछक्कचउक्केसु नवगं संकमइ उवसमगयाणं । खवगाण चउसु छक्कं दुइए मोहं अओ वोच्छं ।।१५।। लोभस्स असंकमणा उव्वलणा खवणओ छसत्तण्हं । उवसंताण वि दिट्ठिीण संकमा संकमा नेया ।।१६।। आमीसं पणुवीसो इगवीसो मीसगाउ जा पुत्वो । मिच्छखवगे दुवीसो मिच्छे य तिसत्तछव्वीसो ॥१७।। खवगस्स सबंधच्चिय उवसमसेढीए सम्ममीसजुया। मिच्छखवगे ससम्मा अट्ठारस इय पडिग्गहया ॥१८॥ दसगट्ठारसगाई चउ चउरो संकमंति पंचंमि । सत्तडचउदसिगारसबारसट्ठारा चउक्कमि ॥१६।। तिन्नि तिगाई सत्तट्ठनवय संकममिगारस तिगम्मि । दोसु छडट्ठदुपंच य इगि एक्कं दोण्णि तिण्णि पण ।।२०॥ पणवीसो संसारिसु इगवीसे सत्तरे य संकमइ । तेरस चउदस छक्के वीसा छक्के य सत्ते य ॥२१॥ बावीसे गुणवीसे पन्नरसेक्कारसेसु छव्वीसा । संकमइ सत्तवीसा मिच्छे तह अविरयाईणं ॥२२।।
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