Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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जघन्य
जघन्य ।
प्रकृतियां
मूलप्रकृति सम्बन्धी अनुभागसंक्रम की साद्यादि प्ररूपणा अजघन्य
अनुत्कृष्ट सादि अध्रुव अनादि ध्रुव सादि अध्रुव सादि अध्रुव अनादि X भव्य अक्षीण अभ- १२ वें सादि उत्कृष्ट सादि X मोही व्य गुण. में होने से आने होने
समया- से वाले के से | धिक प्रथम आव. समय में
| उत्कृष्ट ध्रुव | सादि अध्रुव X नियत सादि
काल होने से होने से से
ज्ञानावरण, दर्शना- वरण, अन्तराय
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शेष
मोहनीय
.. संक्रम आदि करणत्रय-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ६७
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११वेंगूण , सादि , क्षपक , , , X X , से पतित स्थान १०वेगूण. क्षायिक अप्राप्त समयासम्यक्त्वी
आव.शेष अहत सादि XX हत। ,, उत्कृष्ट भव्य सादि अभ- उत्कृष्ट प्रभूत होने
प्रभूत से अन्य अप्राप्त | व्य सत्ताका अनुभाग से अनुभाग
मनुष्य वाले के वाले के
अनुत्तर
धिक
आयु
बंधकों
देवों के
लाम, गात्र, वद-
"
,
X
X
,
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, आदि का
अभाव
,
नीय
क्षपक । १२, १३ वे गुण. ।
होने से
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