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(xxvii)
| सं०
४२६
४४२
४४८.
६८६ ६६६
विषय श्लोक | क्र० विषय
श्लोक सं० | सं०
सं० ४१ (२०) कषाय
४०६ | ६६ समकित प्राप्त कराने वाले तीन ६०१ ४२ चार कषाय
४०६ करण सम्बंधी विस्तार ४३ चारों के चार-चार भेद ४१३ | ६७ ग्रन्थी भेद परत्वे द्रष्टान्त और ६०५ ४४ दृष्टान्त पूर्वक समझना
उपनय ४५ नौ 'नो कषाय' के नाम ४४१ | ६८ क्षयोपशम समकित का स्वरूप ६३८ ४६ (२१) संज्ञा
६६ सम्यकत्व के १-२-३-४-५ ६५७ ४७ चार तथा दश प्रकार ४४३
प्रकार ४८ आश्चर्यकारी द्रष्टान्त
७० उन-उन प्रकारों के समकित ६७४ ४६ तीन प्रकार की संज्ञा के स्वरूप ४४८ के भिन्न-भिन्न स्थिति काल ५० (२२) इन्द्रिय
४६४ | ७१ चार प्रकार के समकित का ६७४ ५१ पाँच इन्द्रिय
४६५ स्वरूप ५२ द्रव्येन्द्रिय, भावेन्द्रिय तथा भेद ४६७ | ७२ मिथ्या दृष्टि के पाँच प्रकार ६८७ ५३ भावेन्द्रिय का विशेष स्वरूप ४७६ ७३ मिश्र दृष्टि का स्वरूप ५४ पाँचों इन्द्रियों के प्रमाण ४६०
७४ . (२६) ज्ञान ५५ पर्दाथ ग्रहण करने की शक्ति ५१२
७५ पाँच प्रकार के विषय में :
| ७६ (१) मतिज्ञान-अठ्ठाईस भेद ७०७ स्पृष्ट बद्ध और बद्धस्पृष्ट ५२२
७७ चार प्रकार की मति (बुद्धि) ७५० आदि स्वरूप . ७८ (२) श्रुत ज्ञान
७५६ ५७ इन्द्रिय गोचर पदार्थों का मान. ५३३
७६ चौदह भेद ५८ उन-उन इन्द्रियों की अवगाहना ५४२
अठारह लिपियों के नाम ७७६ और प्रदेश प्रमाण
८१ ग्यारह अंग और चौदह पूर्व ७६१ ५६ जीवों की.अतीत, अनागत ५५१
के नाम इन्द्रियों की संख्या
८२ सादि-अनादि आदि चार ८१२ ६० - नौ इन्द्रिय-मन
५७३
प्रकार के श्रुत ६१ द्रव्यमन-भावमन
५७३ ६२ (२३) संज्ञित-संज्ञी-मनमाला
८३
८२० श्रुत ज्ञान के बीस भेद
(३) अवधि ज्ञान ८३५ ६३ (२४) वेद ६४ वेदना के तीन प्रकार और
८५ छः प्रकार ५६०
८६ (४) मनः पर्यवज्ञान ८५० उनके लक्षण ८७ दो प्रकार
८५२ ६५ (२५) दृष्टि-समकित दृष्टि ५६७
८८ (५) केवल ज्ञान आदि
७०१
७७५
पू८६
८३६
८६७