________________
34
अनेकान्त/55/1
महावीरकाल की सामाजिक दशा एवम् जातिवादी व्यवस्था की मीमांसा करते हुए प्रस्तावना में वैदिक एवम् बौद्ध साहित्य का भरपूर उपयोग करते हुए उनके मत सन्दर्भ प्रस्तुत किये हैं।
इन सभी ग्रन्थों का सम्पादन पण्डित जी द्वारा अधुनातन साहित्य मीमांसक विद्वानों द्वारा स्वीकृत मानदण्डों के अनुरूप ही किया गया। तदनुसार ग्रन्थों के शुद्ध एवम् प्रामाणिक पाठों हेतु न्यूनतम तीन पाण्डुलिपियों का उपयोग किया जिसमें सर्वाधिक शुद्ध प्रति मूल रूप में देकर पादटिप्पण में अन्य प्रतियों के पाठभेद का संकेत किया गया। पादटिप्पणियों में सम्बन्धित विषय में अन्य आचार्यों के मतों का उल्लेख ससन्दर्भ किया गया।
पण्डित जी द्वारा सम्पादित ग्रन्थों की सबसे बड़ी विशेषता ग्रन्थारम्भ में उनके बहुविद्या-वेतृत्व की निदर्शक विद्वत्ता पूर्ण प्रस्तावनाएँ हैं, जिनमें ग्रन्थकार का काल निर्धारण, आचार्य परम्परा - गुर्वावलि पूर्ववर्ती आचार्यों का रचना प्रभाव व रचना का परवर्ती आचार्यों पर प्रभाव ग्रन्थ विषयक अन्य साहित्य का वर्णन ग्रन्थ का प्रतिपाद्य एवम् उस पर तुलनात्मक अध्ययन व ऊहापोह ग्रन्थ की भाषा शैली प्रयुक्त पाण्डुलिपियों की प्रति का परिचय, उनके गहन अध्यवसाय एवम् विषय-पारंगतता के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
उनके द्वारा सम्पादित ग्रन्थों की विशेषताओं में दूसरी प्रमख विशेषता है. ग्रन्थान्त में विविध परिशिष्टों की संयोजना। परिशिष्टों में यदि सूत्र ग्रन्थ है तो सकल सूत्रों सूची, पद्यमय ग्रन्थों में ग्रन्थ के पद्यों की अकारादिक्रम से पद्यानुक्रमणिका, ग्रन्थागत अवतरणों/उद्धरणों की सूची एवम् उनके सन्दर्भ, ग्रन्थोल्लिखित ऐतिहासिक राजा, आचार्य, श्रावक, आदि की सूची भौगोलिक सूची ग्रन्थनामोल्लेखों की सूची वंशो की सूची, जोडी गयी हैं, जो अध्येता विद्वानों के लिये काफी उपयोगी साबित होती हैं।
-सेठ जी की नसियां
ब्यावर