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अनेकान्त/55/2
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15. राष्ट्रसत आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज। 16. महासती चन्दना, उत्तराध्ययन सूत्र टिप्पण, वीरायतन संस्करण, 1972, पृ. 429. 17. कैलाशचन्द्र जैन, लॉर्ड महावीर एण्ड हिज टाइम्स, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, 1974, पृ. 34-37 18. श्री अजित प्रसाद जैन, शोधादर्श-44, पृ. 58-59.
19. डॉ. शशिकान्त, वही, पृ. 17.
उपर्युक्त सभी विद्वानों ने एक स्वर से विदेह देश में मौजूद वैशाली के समीपवर्ती कुण्डपुर (कुण्डलपुर, कुण्डग्राम) वर्तमान वासोकुण्ड को भगवान महावीर का जन्म स्थान माना है।
श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोग लिछुआड़ (जो अंग देश में था) को भगवान महावीर की जन्मभूमि मानते हैं, जो शास्त्रीय दृष्टि से मान्य नहीं है। उसी परम्परा के प्रसिद्ध विद्वान् भी लिछुआड़ को भगवान महावीर का जन्म स्थान नहीं मानते। यहाँ दो विशिष्ट विद्वानों के मन्तव्य उन्हीं के शब्दों में प्रस्तुत किये जा रहे हैं :___श्वेताम्बर विद्वान् पुरातत्ववेत्ता पं. कल्याणविजय गणी का अभिप्राय इस प्रकार है
"प्रचलित परम्परानुसार आज कल भगवान की जन्मभूमि पूर्व बिहार में क्यूल स्टेशन से पश्चिम की ओर आठ कोस पर अवस्थित लच्छआड़ गाँव माना जाता है पर, हम इसको ठीक नहीं समझते इसके अनेक कारण हैं___ 1. सूत्रों में महावीर के लिए "विदेहे विदेहदिन्ने विदेहजच्चे विदहसूमाले तीसं वासाई विदेह-सिक?' इत्यादि जो वर्णन मिलता है, उससे यह स्वतः सिद्ध होता है कि महावीर विदेह देश में अवतीर्ण हुए और वहीं उनका संवर्द्धन हुआ था। यद्यपि टीकाकारों ने इन शब्दों का अर्थ और ही तरह से लगाया है, पर शब्दों से प्रथमोपस्थित विदेह, विदेहदत्त, विदेहजात्य, विदेहसुकुमाल, तीस वर्ष विदेह में (पूरे) करके, इन अर्थवाले शब्दों पर विचार करने से यही ध्वनित होता है कि भगवान महावीर विदेह जाति के लोगों में उत्तम और सुकुमाल थे। एक जगह तो महावीर को "वैशालिक" भी लिखा है। इससे ज्ञात होता है कि आपका जन्म स्थान क्षत्रियकुण्डपुर वैशाली का ही एक