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अनेकान्त/55/3
-प्रो. यशवंत कुमार मलैया 46/3 चाणक्य और जैन परंपरा -डा. श्री गोकुलप्रसाद जैन 49/3/4 चड़ोम का ऐतिहासिक जिनालय दान-पात्र -श्री कुंदनलाल जैन 48/2/3
जगतराय की भक्ति-गंगाराम गर्ग एम.ए. 17/133 जयसेन प्रतिष्ठापाठ की प्रतिष्ठा विधि का अशुद्ध प्रचार -श्री पं. मिलापचंद कटारिया 15/34 जातिभेद पर अमितगति -आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार 1/115 जैन अनुश्रुति का ऐतिहासिक महत्व -बा. ज्योतिप्रसाद 7/176 जैन आगमों के कुछ विचारणीय शब्द -मुनि श्री नथमल 20/40 जैन और वैदिक अनुश्रुतियों में ऋषभ तथा भरत की भवावलि -डा. नरेन्द्र विद्यार्थी 19/309 जैनकला और उसका महत्व -बा. जयभगवान 4/3 जैनकला के प्रतीक और प्रतीकवाद -डा. ए.के.भट्टाचार्य, डिप्टी कीपर राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली, अनु. जयभगवान एडवोकेट 14/189 जैन कीर्तिस्तम्भ चित्तौड़ के अप्रकाशित शिलालेख -श्री रामवल्लभ सोमानी जयपुर 22/36 जैन गुहा मन्दिर - श्री बालचन्द्र जैन एम.ए. 10/129 जैन ग्रंथ संग्रहालयों का महत्त्व -डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल 10/196 जैन ग्रंथों में राष्ट्रकूटों का इतिहास -रामवल्लभ सोमाणी 21/114 जैन जातियों के प्राचीन इतिहास की समस्या - श्री अगरचन्द्र नाहटा 5/321 जैन दृष्टि से प्राचीन सिन्ध -मुनि श्रीविद्याविजय 2/507
जैनधर्म और जातिवाद -श्री कमलेश सक्सेना एम.ए. मेरठ 18/93 जैनधर्म की देन -आ. क्षितिमोहन सेन 4/551 जैनधर्म में सम्प्रदायों का आविर्भाव -पं. कैलाशचन्द शास्त्री 1/329 जैनधर्म में मूर्ति पूजा -डा. विद्याधर जोहरापुरकर 17/155 जैन धातु मूर्तियों की प्राचीनता -श्री अगरचन्द नाहटा 10/271 जैन परम्परा का आदिकाल -डा. इन्द्रचन्द्र शास्त्री एम.ए. 14/196 जैन परिवारों के वैष्णव बनने संबंधी वृत्तान्त -श्री अगरचंद नाहटा 15/252 जैन पुरातत्व में गंगा-यमुना - श्री नीरज जैन 16-40 जैन पुरातन अवशेष (विहंगावलोकन) -मुनि कांतिसागर 9/225, 9/261 जैनप्रतिमा लक्षण-बालचन्द्र जैन एम.ए. 19/204 जैनमूर्तिकला का प्रारम्भिक स्वरूप -रमेश शर्मा 19/142 जैन सरस्वती -बा. ज्योतिप्रसाद जैन 8/61 जैसलमेर के भण्डार की छानबीन -सम्पादक 10/425 जैन साधुओं की प्रतिमाएँ - श्री बालचन्द जैन एम.ए. 16/236
जैन साहित्य में मथुरा -डा. ज्योतिप्रसाद जैन 15/65 जैन संस्कृति के प्राण जैनपर्व -पं. बलभद्र जैन 7/15 जैन स्थापत्य की कुछ अद्वितीय विशेषताएँ -बा. ज्योतिप्रसाद जैन एम.ए. 8/343 जैनादर्श (जैन गुण दर्पण संस्कृत-'युगवीर' 8/354 जैनियों की दृष्टि में विहार -पं. के भुजबली शा. 3/521 जैनियों पर घोर अत्याचार -प्रो. हेमुल्ट ग्लाजेनव 880