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अनेकान्त/55/3
राजगिरि या राजग्रह
- श्री परमानंद शास्त्री - 24:2 राजस्थान में जैन धर्म एवं साहित्य राजस्थान में मध्ययुगीन जैन प्रतिमाएं - डॉ. शिवकुमार नामदेव - 30:3, 4 राज्य संग्रहालय धुबेला की सर्वतोभद्र मूर्तियां - श्री नरेश कुमार पाठक
43:3
-
24:6
रानी रूपमती पुरातत्व संग्रहालय सारंगपुर की जैन प्रतिमाएं - श्री नरेशकुमार पाठक - 48:1 रामगुप्त के अभिलेख
- श्री परमानन्द शास्त्री 25:4, 5
ल
लंका में जैनधर्म
26:2
- श्री महेन्द्र कुमार दिल्ली लाडनूं की एक महत्त्वपूर्ण जिन प्रतिमा - देवेन्द्र हाण्डा
25:6
व
वघेरवाल जाति -डा. विद्याधर जोहरापुर 17/63 बडली स्तंभ खण्ड लेख
- श्री बालचन्द्र जैन एम. ए. 10/ 150 वाचक वंश - मुनि दर्शन विजय 1/476 वानर महाद्वीप (संपादकीय नोट सहित) -प्रो. ज्वालाप्रसाद सिंहल 8/54 वामनावतार और जैन मुनि विष्णुकुमार - श्री अगरचन्द नाहटा 12/247 विक्रमी संवत की समस्या - प्रो. पुष्पमित्र जैन 14/287 विजोलिया के शिलालेख
- परमानन्द शा. 11/358 विदर्भ में जैनधर्म की परम्परा -डा. विद्याधर जोहरापुरकर 18/146 वीरशासन और उसका महत्त्व - न्या. पं. दरबारीलाल कोठिया 5/188 वीरशसनकी उत्पति का समय और स्थान -सम्पादक 6/76
वीरशासन जयंती का इतिहास
- जुगलकिशोर मुख्तार 14/338 वीरसेन स्वामी के स्वर्गारोहण समय पर एक दृष्टि - पं. दरबारीलाल जैन कोठिया 8/144 वीर निर्माण संवत् की समालोचना पर विचार -संपादक 4/429
वृषभदेव तथा शिव सम्बन्धी प्राचीन मान्यतायें -डा. राजकुमार जैन 19/94
वैदिक व्रात्य और महावीर - कर्मानन्द 6 / 235 वैशाली ( एक समस्या)
-मुनि कान्तिसागर 9/267
वैशाली की महत्ता श्री आर. आर. दिवाकर राज्यपाल विहार 11 /416
25:1
वैशाली गणतंत्र का अध्यक्ष राजा चेटक - परमानंद शास्त्री विक्रम विश्विद्यालय उज्जैन के पुरातत्व संग्राहालय की अप्रकाशित जैन प्रतिमाएं - डॉ. सुरेन्द्रकुमार आर्य - 25:3 वर्धमानपुर एक समस्या -मनोहर लाल दलाल 26:1 विदिशा से प्राप्त जैन प्रतिमाएं एवं गुप्त रामगुप्त - शिवकुमार नामदेव 27:1 व्रात्य जैन संस्कृति का पूर्व पुरूष -डॉ. हरिन्द्रभूषण जैन विदेशों में जैन धर्म
30:2
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- डॉ. गोकुल प्रसाद जैन 50:2 वैशाली गणतंत्र - श्रीराजमल जैन
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नरेश
54:3,4
श
शडोल जिले में जैन संस्कृति का एक अज्ञात केन्द्र - प्रो. भागचंद्र जैन भागेन्दु 22/71 शांति ओर सौम्यता का तीर्थ कुण्डलपुर - श्री नीरज जेन 17/73
शिलालेखों में जैनधर्म की उदारता
-बा. कामताप्रसाद 2/83
शोधकण (1 तीन विलक्षण जिन बिम्ब, 2 पतियान