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अनेकान्त/55/3
तक से बलात्कार, नाली-गंदगी में पड़े रहना, हिंसा कर देना और परिवार की शांति भंग कर देना आदि निंदनीय क्रियायें करते रहते हैं। शराब के नशे में व्यक्ति क्रूर क्रोधी अंसयमी बन जाता है उसके लिये सामान्य जीवन का कोई महत्व ही नहीं रहता है।
देश की सरकार की नीति भी कुछ इस तरह की है कि मद्यपान और नशीली चीजों को बढ़ावा ही मिल रहा है। गली-गली में खुली दुकानें नशा ही नशा बेच रहीं हैं। शराब, अफीम, गांजा, स्मैक, कोकीन, सिगरेट, तम्बाकू, भांग, हरोईन, पान मसाला, गुटका और तरह तरह के इन्जेक्शन जैसी नशीली वस्तुओं का प्रयोग कर स्वयं अपनी मौत को बुला रहे हैं। स्लोपाइजन के रूप में ये नशीले पदार्थ शरीर में असहाय बीमारियों का घर बना रहे हैं। आजकल नशे के नाम पर विभिन्न जहरीले जीवों के अवयव जैसे छिपकली आदि आयुर्वेद के विभिन्न आसव, पीड़ा हारी आयोडेक्स तक नशेडी ब्रेड में लगाकर खा जाते हैं। आधुनिकता की बहार में बहता कोल्डडिंक्र का मायाजाल भी क्या पिला दे कुछ पता नहीं। कोका-कोला के फार्मूले का आज तक पता नहीं फिर भी लोग बोतल दर बोतल पीते चले जाते हैं। क्या हमारा विवेक नहीं कहता कि देखो क्या मिला है किससे बना है। यहां तक कि अपने अहं में लोग इसे पानी से शुद्ध बताने लगे है। पान मसाला, सिगरेट, तम्बाकू आदि सभी पदार्थों का हानिकारक प्रभाव हम रोज ही देख रहे हैं। ___ मद्यपान और नशीले पदार्थ के सेवन से व्यक्ति की वृत्ति और प्रवृत्ति दोनों बिगड़ रही है। एक शोध के अनुसार जितने अपराध होते है उनमें 92% शराब-नशीली चीजों के कारण होते हैं। ___ नयी-पीढ़ी नशीले पदार्थों को तनाव मुक्ति एवं उत्तेजना की तीव्र अनूभूति
और मस्ती के लिये आवश्यक मानने लगी है पर यह एक भ्रम है पतन का रास्ता है। - हम उचित नैतिक/धार्मिक शिक्षा संस्कार एवं धर्मगुरुओं की वाणी से ऐसा वातावरण निर्मित करें ताकि बच्चे उस ओर आर्कषित ही न हों। हमारा दायित्व है कि उन्हें व्यसन मुक्त बनायें। सच है यदि परिवार एवं समाज को नशे से