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अनेकान्त/55/2
से कुण्डलपुर (नालन्दा) का विकास हो, इसका भी कहीं से विरोध नही होना चाहिए। हाँ, पुरातत्त्वविदों, इतिहासज्ञों तथा परम्परागत जैन विद्वानों को मिल-बैठकर भगवान् महावीर की जन्मस्थली सर्वसम्मति से एक स्वीकार कर लेना चाहिए चाहे वह वैशाली का कुण्डग्राम/वासोकुण्ड हो या नालन्दा का कुण्डलपुर। कहीं ऐसा न हो कि विवादों की यह प्रवृत्ति बढ़ती ही जावे और हमारे सभी तीर्थक्षेत्र अन्य-अन्य स्थानों पर कल्पित कर लिये जायें।
अनेकान्त के गत अंक 55/1 में आर्यिका श्री चन्दनामती माता जी का एक आलेख “भगवान् महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर-एक वास्तविक तथ्य" प्रकाशित किया था। प्रस्तुत अंक में डॉ. ऋषभचन्द्र जैन 'फौजदार' का "भगवान् महावीर का जन्मग्थान" आलेख प्रकाशित कर रहे हैं। दोनों ने अपने-अपने समर्थन में प्रमाण दिये हैं। सुधी मनीषियों से विनम्र निवेदन है कि वे इन्हें देखकर तथा अन्य शास्त्रीय, पुरातात्त्विक एवं ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर भगवान् महावीर की जन्मस्थली का सर्वसम्मत निर्णय खोजें ताकि अनावश्यक संभावित विवाद को रोका जा सके।
-जयकुमार जैन